Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

इंदौर में रंगपंचमी की ‘‘गेर’’ में उमड़े हजारों हुरियारे, सीएम बोले- गौरवशाली परंपरा विजयोत्सव की प्रतीक

इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में फागुनी मस्ती के माहौल में रंगपंचमी पर हर साल निकाली जाने वाली ‘‘गेर’’ (होली की विशाल शोभायात्र) में शनिवार को हजारों लोग शामिल हुए और त्योहारी उल्लास में डूब गए। राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी शहर में गेर की करीब 75 साल पुरानी रंगारंग परंपरा में शामिल हुए। इस दौरान मुख्यमंत्री स्थानीय जन प्रतिनिधियों के साथ एक खुले वाहन में सवार हुए और उन्हें गेर में शामिल लोगों पर पिचकारी से रंग बरसाते देखा गया। यादव ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘गेर होली खेलने वाले लोगों की वह टोली है जो सबको अपना बनाने के लिए निकलती है।’’ उन्होंने कहा कि गेर की गौरवशाली परंपरा विजयोत्सव की प्रतीक भी है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पुराने दौर में अलग-अलग समुदाय के लोग अपने पारंपरिक प्रतीक चिह्नें के साथ दल-बल संग गेर में शामिल होते थे।’’

अधिकारियों ने बताया कि इंदौर का जिला प्रशासन गेर को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के तौर पर यूनेस्को की सूची में शामिल कराने के लिए प्रयास कर रहा है। गेर को ‘‘फाग यात्र’’ के रूप में भी जाना जाता है जिसमें शहर के हजारों हुरियारे बगैर किसी औपचारिक बुलावे के उमड़ते हैं और होली खेलते हैं। रंगपंचमी पर यह रंगारंग जुलूस शहर के अलग-अलग हिस्सों से गुजरते हुए ऐतिहासिक राजबाड़ा (इंदौर के पूर्व होलकर शासकों का महल) के सामने पहुंचता है जहां रंग-गुलाल की चौतरफा बौछारों के बीच हुरियारों का आनंद में डूबा समूह कमाल का मंजर पेश करता है।

जानकारों ने बताया कि शहर में गेर की परंपरा रियासत काल में शुरू हुई, जब होलकर राजवंश के लोग रंगपंचमी पर आम जनता के साथ होली खेलने के लिए सड़कों पर निकलते थे। उन्होंने बताया कि होलकर शासकों के राज में गेर में बैलगाड़ियों पर लदी कड़ाहियों से बड़ी-बड़ी पिचकारियों के जरिये रंग भरा जाता था और इसे हुरियारों पर बरसाया जाता था।

Exit mobile version