कपूरथला के गांव नूरपुर राजपूत के गुरप्रीत सिंह जो की लीबिया देश में एक सीमेंट फैक्ट्री में बंधक बनाए गए थे को उनके तीन अन्य साथियों के साथ भारत सरकार और पंजाब सरकार के प्रयास के बाद वहां से सुरक्षित भारत लाया गया है। गुरप्रीत सिंह ने इस दौरान अपनी दुख भरी कहानी बताते हुए कहा की वह अपने बच्चों के अच्छे भविष्य की खातिर पिछले साल दिसंबर में ड्राइवर की नौकरी के लिए दुबई गया। लेकिन जैसे ही वह दुबई पहुंचा तो उसे उसके साथियों समेत लीबिया भेज दिया गया और यहां पहुंचते ही इस सीमेंट फैक्ट्री के हालात देख कर उनके पैरो के नीचे जमीन खिसक गई। वहां रहने के लिए ना तो कोई टिकाना था और ना ही खाने को कुछ, फिर जैसे तैसे कर के उन्हों फैक्ट्री प्रबंधन से जो कुछ पैसे मिले इससे उन्हों ने खाना बनाने के बर्तन और खाने पीने का समान लिया और कई दिनों तक बासी खाना खाया। इतना ही नहीं जब दुबारा पैसे की मांग की तो उन्होंने बताया की उनको खाने के लिए दिए जाने वाले पैसे अब अगले महीने मिलेंगे जिस पर उन्होंने कई दिन भूखे भी काटे।
उन्होंने बताया की उन से करीब 18 घंटे काम लिया जाता था और अगर कोई भी इस का विरोध करता तो उसके साथ मारपीट की जाती। गुरप्रीत के अनुसार जब उस के साथियों ने फैक्ट्री के प्रबंधकों से भारत वापिस जाने की गुजारिश की तो उन्होंने कहा की वह 3000 डालर का प्रति वियक्ति इंतजाम कर ले क्योंकि उनको उन्होंने 3000 डालर में उम्र भर के लिए खरीदा है जिसे सुन कर कुछ साथियों ने आत्मदाह करने की भी कोशिश की। गुरप्रीत के मुताबिक एक बार तो वह हिम्मत हार गए पर जैसे तैसे कर उन्होंने अपने हालातों पर एक वीडियो बना उसे वायरल किया और जिस के बाद उनका भारत सरकार से राबता कायम हुआ और अलग-अलग लोगों की सहायता से उनकी रिहाई संभव हो सकी। घर वापिस पहुंचे गुरप्रीत ने बताया की यह उनके लिए किसी नए जन्म से कम नहीं और उन्होंने पंजाबी नौजवानों से अपील की है की वह किसी भी देश का रुख करने से पहले जांच परख अच्छे ढंग से कर ले और उस देश में कभी ना जाए जहां भारत का राजदूत ना हो। दूसरी तरफ गुरप्रीत के परिवार के सदस्यों ने भी गुरप्रीत की वापिस पर खुशी जाहिर की और सरकार की कारगुजारी पर संतोष जाहिर किया।