इंटरनेशनल डेस्क : बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा मोड़ उस समय आया जब देश की एक अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, उनकी बहन शेख रेहाना, ब्रिटिश सांसद और हसीना की भतीजी ट्यूलिप रिजवाना सिद्दीक, उनकी बेटी साइमा वाजेद सहित कुल 53 लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए। यह मामला भ्रष्टाचार और राजनीतिक सत्ता के दुरुपयोग से जुड़ा है, जिसमें आरोपियों पर अवैध रूप से ज़मीन हथियाने के आरोप हैं। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…
क्या है पूरा मामला ?
आपको बता दें कि ढाका मेट्रोपोलिटन की विशेष अदालत के वरिष्ठ न्यायाधीश जाकिर हुसैन ने यह गिरफ्तारी वारंट भ्रष्टाचार निरोधक आयोग (Anti-Corruption Commission – ACC) द्वारा दायर तीन अलग-अलग आरोपपत्रों के आधार पर जारी किया। इन आरोपपत्रों में आरोप लगाया गया है कि इन लोगों ने प्लॉट आवंटन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया और राजनीतिक ताकत का गलत फायदा उठाकर जमीनें हथिया लीं।
कोर्ट की अगली सुनवाई कब ?
दरअसल, जज ने आदेश दिया कि गिरफ्तारी वारंटों की अनुपालन रिपोर्ट (Compliance Report) की समीक्षा के लिए अगली सुनवाई 27 अप्रैल 2025 को की जाएगी। कोर्ट ने कहा है कि चूंकि सभी आरोपी फरार हैं, इसलिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है।
हसीना की बेटी और अन्य के खिलाफ भी वारंट
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है। 10 अप्रैल को भी इसी कोर्ट ने एक अन्य मामले राजुक प्लॉट घोटाले में शेख हसीना, उनकी बेटी साइमा वाजेद, और 17 अन्य लोगों के खिलाफ वारंट जारी किए थे। बता दें कि साइमा वाजेद वर्तमान में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक के तौर पर कार्यरत हैं।
कैसे बदली बांग्लादेश की राजनीति ?
यह घटनाक्रम तब सामने आया जब 2024 में बांग्लादेश में भारी राजनीतिक अशांति और हिंसक प्रदर्शनों के चलते शेख हसीना की सरकार गिर गई। इसके बाद शेख हसीना भारत भाग आईं और अभी भारत में शरण लिए हुए हैं। अब देश में एक अंतरिम सरकार काम कर रही है, जिसका नेतृत्व नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं। अंतरिम सरकार ने भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग भी की है।
अल्पसंख्यकों पर असर
शेख हसीना की सत्ता गिरने के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को निशाना बनाए जाने की खबरें भी सामने आईं। इन घटनाओं ने वहां की सामाजिक स्थिति को और भी अधिक संवेदनशील बना दिया है। शेख हसीना के खिलाफ ये कार्रवाई केवल कानूनी नहीं बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। माना जा रहा है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार किसी भी कीमत पर हसीना की वापसी और राजनीतिक पुनरागमन को रोकना चाहती है, ताकि देश में नए नेतृत्व को मजबूत किया जा सके।