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मानवता हुई शर्मसार, पिता ने बाइक खरीदने के लिए बेटे को 60 हजार में बेचा

ओडिशा : आज मानव है पर उसके अंदर से मानवता खत्म होती दिख रही है। आज के समय में हर रोज अनेकों तरह की घटनाएं घटित हो रही है, जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया है। आज कुछ इसी तरह का एक मामला ओडिशा के बालासोर जिले से सामने आया है। जिसने सभी को हैरान.

ओडिशा : आज मानव है पर उसके अंदर से मानवता खत्म होती दिख रही है। आज के समय में हर रोज अनेकों तरह की घटनाएं घटित हो रही है, जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया है। आज कुछ इसी तरह का एक मामला ओडिशा के बालासोर जिले से सामने आया है। जिसने सभी को हैरान कर दिया है। यहां एक पिता ने महज 60 हजार रुपए के लिए अपने नवजात बच्चे को किसी दूसरे व्यक्ति के हाथों बेच दिया, ताकि वह अपने लिए एक नई बाइक खरीद सकें। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से..

6000 रुपए में बेच बेटे को बेचा … 

दरअसल यह मामाल ओडिशा के बालासोर जिले के हदामौद गांव से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक पिता ने अपने नवजात बेटे को एक नि:संतान दंपति को 60,000 रुपये में बेच दिया, ताकि वह नई बाइक खरीद सके। यह घटना गांव में चौंकाने वाली चर्चा बन गई और ग्रामीणों ने इसकी जानकारी बाल कल्याण समिति को दी, जिसके बाद बच्चे को बचाया गया। बता दें कि धर्मू बेहरा और शांति पात्रा की शादी मयूरभंज जिले के पोड़ापोडा गांव में हुई थी। शांति ने दो बेटे जन्मे थे और धर्मू की पहली शादी से भी एक बेटा था। 19 दिसंबर 2024 को, धर्मू ने शांति को पंडित रघुनाथ मुर्मू मेडिकल कॉलेज में डिलीवरी के लिए भर्ती कराया। 22 दिसंबर को जब अस्पताल से छुट्टी मिली, तो धर्मू ने अपने नवजात बेटे को सैंकुला गांव के एक नि:संतान दंपति को 60,000 रुपये में बेच दिया। इस सौदे को कथित तौर पर गांव के दो युवकों ने अंजाम दिया था।

ग्रामीणों को धर्मू पर हुआ शक

धर्मू ने उस पैसे से नई बाइक खरीदी और गांव में घूमते हुए दिखा। यह देखकर ग्रामीणों को शक हुआ और उन्होंने बाल कल्याण समिति को इसकी सूचना दी। इसके बाद इस मामले का खुलासा हुआ और बच्चे को बाल कल्याण समिति की देखरेख में सुरक्षित रखा गया। मयूरभंज जिले के खुंटा थाने की आईआईसी सुजाता खमारी ने कहा, “हमें बाल कल्याण समिति से इस घटना की जानकारी मिली। हमने ज्वाइंट ऑपरेशन चलाकर बच्चे को खरीदी हुई दंपति से रेस्क्यू किया। अब बच्चा बाल कल्याण समिति की देखरेख में है। हम मामले की जांच कर रहे हैं।”

आरोपी पहले से तीन बच्चों का पिता था

बता दें कि बाल कल्याण समिति के अनुसार, “बच्चे को खरीदने वाली दंपति की शादी को लगभग 15 साल हो गए थे, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। इसलिए उन्होंने बच्चे को खरीदने का फैसला लिया। शांति और धर्मू ने बिचौलिए के माध्यम से इस दंपति से संपर्क किया।” विक्रेता पति पहले से तीन बच्चों का पिता था और इसलिए वह चौथे बच्चे को पालने के लिए सक्षम नहीं था, जिस कारण उसने बच्चे को बेचने का फैसला लिया।

अस्पताल में हुआ सौदा

बाल कल्याण समिति ने बताया कि यह सौदा अस्पताल में हुआ था और बच्चे को बेचने के बाद धर्मू ने अपनी नई बाइक खरीदी। इस सौदे के बाद, स्थानीय लोगों ने इसकी जानकारी दी और बच्चे की खरीद-फरोख्त की अवैधता का पर्दाफाश हुआ। वहीं इस मामले में  बच्चे की मां शांति पात्रा ने आरोपों को नकारा करते हुए कहा, “हमने बच्चे को बेचने की बजाय एक नि:संतान दंपति को दान में दिया है। हम पैसों के लिए बच्चे को नहीं बेच रहे थे। हालांकि, बाइक का मामला सच है, लेकिन यह पैसे न चुका पाने के कारण बाइक को वापस ले लिया गया था।” फिलहाल, नवजात को बाल कल्याण समिति की देखरेख में रखा गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की प्रक्रिया में है।

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