Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

चंडीगढ़ पुलिस खातों में हुए कई घोटाले, ऑडिट विभाग ने किए हैरान करने वाले खुलासे

चंडीगढ़: ऑडिट विभाग ने चंडीगढ़ पुलिस में कई घपले पकड़े हैं। सबसे बड़ा खुलासा हुआ है कि पुलिस के खाते से करीब 84 करोड़ रुपये गायब हैं और पुलिस को पता ही नहीं है कि वह पैसे कहां और किसके पास गए हैं, क्योंकि ऑडिट विभाग का कहना है कि इन पैसों का बिल व वाउचर पुलिस के पास है ही नहीं। ऑडिट में सवाल उठाने के बाद पुलिस ने बिल व वाउचर को ढूंढने की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी है। इसके अलावा भी कई गड़बड़ियां सामने आई हैं। वर्ष 2022 की कैग रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है।

डायरेक्टर जनरल ऑफ ऑडिट (सेंट्रल) संजीव गोयल ने बताया कि चंडीगढ़ के डीजीपी के आग्रह पर उन्होंने वर्ष 2017 से 2020 के दौरान पुलिस विभाग का ऑडिट किया। रिपोर्ट की एक कॉपी प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित को भी कार्रवाई के लिए सौंपी गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि वेतन पर पुलिस विभाग का वार्षिक बजट लगभग 400 करोड़ रुपये है और सभी कर्मचारी वेतन व भत्तों के लिए ई-सेवार्थ पोर्टल पर पंजीकृत हैं। पहले आंतरिक और आईटी नियंत्रण में कमियों और घोर लापरवाही के कारण 1.60 करोड़ के अस्वीकार्य भुगतान का पता चला था। इस मामले में ऑडिट ने सवाल उठाया तो 1.10 करोड़ रुपये पुलिस ने रिकवर कर लिए। इसके बाद अब ऑडिट ने पाया है कि वर्ष 2017-18 और 2019-20 की अवधि के दौरान पुलिस कर्मियों को वेतन, बकाया वेतन, एलटीसी, टीए, मेडिकल, सेवानिवृत्ति लाभ आदि के लिए 83.59 करोड़ का भुगतान किया गया, लेकिन जब ऑडिट विभाग ने इन भुगतानों के समर्थन में बिल और वाउचर मांगे तो वह पुलिस के पास मौजूद नहीं थे। बिलों के अभाव में यह पता ही नहीं चला कि ये पैसे किसके-किसके पास और कहां गए हैं। ऑडिट विभाग ने बड़ी गड़बड़ी की आशंका जताई है।

पुलिसकर्मियों ने गड़बड़ी कर साढ़े 51 लाख रुपये का वाहन भत्ता लिया। ऑडिट रिपोर्ट में एक और बड़ा खुलासा हुआ है कि 2017 से 20 के दौरान चंडीगढ़ पुलिस के 66 पुलिसकर्मियों ने गड़बड़ी कर 55 गुना तक ज्यादा वाहन भत्ता लिया। पुलिस विभाग की तरफ से कांस्टेबल को 400 और हेड कांस्टेबल को 450 रुपये वाहन भत्ता के रूप में मिलता है, लेकिन 53 हेड कांस्टेबलों ने 450 रुपये की जगह 5,450 और 25,450 रुपये तक वसूल लिए। पुलिस के सॉफ्टवेयर में ऊपरी सीमा की कैपिंग न होने के कारण इन पुलिसकर्मियों ने 450 के आगे 5 व 25 लिख दिया जिससे राशि 5,450 और 25,450 रुपये हो गई। 13 कांस्टेबलों ने भी इसी तरह 400 रुपये की जगह 4,400 और 20,400 रुपये वाहन भत्ता लिया। इससे पुलिस को साढ़े 51 लाख रुपये की चपत लगी है।रिपोर्ट में कहा गया है कि चंडीगढ़ पुलिस के 18 पुलिसकर्मियों ने एक यात्रा के लिए दो से चार बार पैसे लिए जिससे विभाग को 7.47 लाख रुपये की चपत लगी है। ऑडिट में खुलासा हुआ है कि वर्ष 2017 से 2020 के बीच चंडीगढ़ पुलिस के 154 कर्मचारियों को सरकारी घर आवंटित हुआ। इसमें से 12 पुलिसकर्मी ऐसे हैं, जिन्हें सरकारी आवास मिलने के बाद भी विभाग ने एचआरए दिया। इससे विभाग को 10 लाख रुपये का नुकसान हुआ है।

दो पुलिसकर्मी वीआरएस के बाद भी लेते रहे पूरी सैलरी
वर्ष 2017-20 के दौरान चंडीगढ़ पुलिस में सेवानिवृत्त, बर्खास्त, मृत्यु व वीआरएस लेने वाले कुल 127 कर्मचारी रहे। इसमें कांस्टेबल जसबीर सिंह ने 1 अप्रैल 2018 और एएसआई कुलवंत कौर ने 1 जनवरी 2018 को वीआरएस ली, लेकिन विभाग ने जसबीर सिंह को नवंबर 2018 से अगस्त 2019 और अक्टूबर 2019 से जनवरी 2020 तक 10.19 लाख रुपये सैलरी के रूप में दी। वहीं, एएसआई कुलवंत कौर को जनवरी 2018 से मई 2018 तक 3.12 लाख रुपये सैलरी के रूप में दिए।

घर के साबुन और तेल के लिए भी कई पुलिस वाले विभाग से ले रहे पैसा
पुलिस के कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल को वाहन भत्ता, सीसीए, मेडिकल, मोबाइल, एचआरए समेत कुल 15 तरह के भत्ते मिलते हैं। ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चंडीगढ़ पुलिस के 42 पुलिस कर्मियों ने 7.30 लाख रुपये उन भत्तों के नाम पर ले लिए जो पुलिस की तरफ से जारी ही नहीं किए जाते। इसमें साबुन और तेल भत्ता, उच्च शिक्षा, बिजली, सचिवालय, अतिरिक्त वेतन, विशेष वेतन भत्ता, वर्दी धुलाई, एचआरए व अन्य भत्ते भी लेते रहे।

Exit mobile version