Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

धर्म या जाति, भारत में किस आधार पर मिलता है आरक्षण… जानिए क्या कहता है संविधान

नेशनल डेस्क : भारत में आरक्षण एक संवैधानिक प्रावधान है, जिसे समाज के पिछड़े और कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए लागू किया गया है। यह समाज के उन वर्गों को सशक्त बनाने के लिए है जो ऐतिहासिक रूप से सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े रहे हैं। हालांकि, यह सवाल उठता है कि आरक्षण किस आधार पर दिया जाता है—क्या यह धर्म या जाति के आधार पर होता है? आइए इसे विस्तार से समझते है…

  1. संविधान में आरक्षण का प्रावधान

भारत के संविधान में आरक्षण का प्रावधान सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में स्पष्ट किया गया है कि सरकार को अनुसूचित जातियां (SC), अनुसूचित जनजातियां (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण देने का अधिकार है। आरक्षण मुख्य रूप से सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर दिया जाता है, न कि धर्म या जाति के आधार पर। हालांकि, जाति का एक गहरा संबंध सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन से है, जो कि आरक्षण का मुख्य आधार है।

  1. आरक्षण और जाति…

भारत में जाति व्यवस्था ऐतिहासिक रूप से सामाजिक असमानता और भेदभाव का कारण रही है। विशेष रूप से अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लोग सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से बहुत हद तक पिछड़े हुए थे। इसके कारण, इन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए आरक्षण प्रदान किया गया। यह आरक्षण इन वर्गों के सामाजिक और शैक्षिक उत्थान के लिए है, ताकि वे समान अवसर पा सकें और समाज में अपने अधिकारों का उपयोग कर सकें। अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को भी सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण दिया गया है। ओबीसी वर्ग में बहुत सी जातियां शामिल हैं, जो ऐतिहासिक रूप से पिछड़ी रही हैं और जिन्हें शिक्षा, रोजगार और अन्य अवसरों में समानता की आवश्यकता थी।

  1. आरक्षण और धर्म…

आरक्षण का धर्म से कोई सीधा संबंध नहीं है। संविधान में किसी भी धर्म के अनुयायियों को आरक्षण देने का कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि, कई राज्यों में मुस्लिम समुदाय को ओबीसी श्रेणी में रखा गया है, जो समाज में सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के कारण हो। हालांकि, यह आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि उनके सामाजिक और शैक्षिक स्थिति के आधार पर है।

  1. आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (EWS) के लिए आरक्षण

हाल के वर्षों में, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए भी आरक्षण का प्रावधान किया गया है। यह आरक्षण जाति और धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि आर्थिक स्थिति के आधार पर है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आरक्षण देने का उद्देश्य उन लोगों की मदद करना है जिनके पास समृद्धि की कोई सुविधा नहीं है, भले ही वे किसी विशेष जाति या धर्म से संबंधित हों।

  1. आरक्षण की आलोचना और समर्थन

आरक्षण को लेकर भारत में दोनों प्रकार की राय हैं। एक ओर जहां कुछ लोग आरक्षण को समाज के पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए आवश्यक मानते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इसे समाज में भेदभाव और असमानता को बढ़ावा देने वाला मानते हैं। हालांकि, भारतीय समाज में जो असमानताएं हैं, उन्हें खत्म करने और समाज में समानता लाने के लिए आरक्षण एक महत्वपूर्ण उपकरण बन चुका है।

आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर दिया जाता है। हालांकि, जाति के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था है, क्योंकि जाति व्यवस्था का भारतीय समाज में गहरा ऐतिहासिक प्रभाव रहा है। धर्म का इसमें केवल अप्रत्यक्ष संबंध होता है, जब कुछ धार्मिक समुदायों के लोग सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े होते हैं।

Exit mobile version