नई दिल्ली: ‘एक देश एक चुनाव’ बिल को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। सूत्रों के मुताबिक इस बिल को मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान ही संसद में पेश किया जा सकता है। मोदी सरकार इस बिल को लेकर लगातार सक्रिय रही है। सरकार ने सितंबर 2023 में इस महत्वाकांक्षी योजना पर आगे बढ़ने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में एक समिति का गठन किया था। रामनाथ कोविंद समिति ने अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले मार्च में सरकार को अपनी सिफारिश सौंप दी थी। केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में 2 चरणों में चुनाव कराने की सिफारिश की थी।
चुनावों पर कम खर्च होगा पैसा
आपको बता दें कि ‘एक देश, एक चुनाव’ के तहत लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। पहले के मुकाबले, अब चुनावों में होने वाला खर्च काफी कम होगा। इससे सरकार को चुनावों की प्रक्रिया को सरल और कम लागत में आयोजित करने का मौका मिलेगा। यह कदम देश के संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करेगा, जिससे विकास कार्यों के लिए और भी ज्यादा धन उपलब्ध हो सकेगा।
विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित करेगी सरकार
चुनावों के खर्च में कमी के साथ समय का भी बचत होगा जिससे सरकार अब विकास कार्यों पर ज्यादा ध्यान दे सकेगी। इससे देश में इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक कल्याण जैसे क्षेत्रों में तेजी से सुधार हो सकेगा। कैबिनेट से मिली इस मंजूरी से जहां एक ओर चुनावी प्रक्रिया सस्ती और प्रभावी होगी, वहीं दूसरी ओर देश के विकास कार्यों को तेज़ी से आगे बढ़ाने का एक नया अवसर मिलेगा। यह निर्णय देश के समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।