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गुजरात औद्योगिक नीति राज्य को वैश्विक व्यापार केंद्र बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है: हितधारक

अहमदाबाद: गुजरात सरकार की उद्योगों को पांच वर्षों में 40,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान करने के लक्ष्य के साथ अगस्त 2020 में शुरू की गई औद्योगिक नीति राज्य को एक वैश्विक व्यापार गंतव्य बनाने की उसकी प्रतिबद्धता दर्शाती है। हितधारकों ने यह बात कही। हितधारकों ने कहा कि पांच साल की अवधि के लिए लाई गई यह नीति 8,000 करोड़ रुपये के औसत वार्षिक परिव्यय का वादा करती है।

जो उद्योगों के लिए पर्याप्त समर्थन का संकेत है। गुजरात की राजधानी में 10 जनवरी से आयोजित होने वाले वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट के 10वें संस्करण से पहले हितधारकों ने यह बात कही है। शिखर सम्मेलन समावेशी वृद्धि और सतत विकास के लिए व्यापार सपंर्क, ज्ञान साझा करने और रणनीतिक साझेदारी का अवसर प्रदान करने का एक मंच है।

राज्य की औद्योगिक नीति समावेशी और संतुलित क्षेत्रीय वृद्धि, विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे और व्यावसायिक माहौल को आसान बनाते हुए निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता, उद्यमिता तथा नवाचार को बढ़ावा देने के लक्ष्य में कारगर साबित हुई है। हितधारकों का मानना है कि यह राज्य को टिकाऊ विनिर्माण तथा सेवा उद्योग के लिए एक वैश्विक व्यापार गंतव्य बनाने और आत्मनिर्भर भारत की पहल में योगदान करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

गुजरात औद्योगिक विकास निगम (जीआईडीसी) के प्रबंध निदेशक राहुल गुप्ता ने कहा कि नई औद्योगिक नीति राज्य में औद्योगिक वृद्धि तथा विकास के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप प्रोत्साहनों के घटक देखें तो आप पाएंगे कि नई नीति के तहत जो पेशकश की गई है, वह कई गुना हैं।

इसका मतलब है कि मूल्यवर्धन को महत्व दिया गया है…क्योंकि प्रोत्साहन शुद्ध जीएसटी प्रतिपूर्ति के जरिए दिए जाते हैं, अधिक मूल्यवर्धन राज्य के भीतर होता है।’’ अधिकारियों ने कहा कि ‘आत्मनिर्भर गुजरात’ को बढ़ावा देने के लिए नीति विदेशी पेटेंट प्रौद्योगिकियों को प्राप्त करने की लागत का 65 प्रतिशत तक वित्त पोषण करके लघु, कुटीर एवं मझौले (एमएसएमई) उपक्रम का समर्थन करती है।

आत्मनिर्भरता तथा नवाचार पर जोर देती है। गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उपाध्यक्ष संदीप इंजीनियर ने राज्य को औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को श्रेय दिया।

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