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मानसिक रोग के इलाज और शोध के लिए 100 करोड़ का अनुदान

नई दिल्ली: रोहिणी नीलेकणि फिलैंथ्रोपीज फाउंडेशन ने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेस (निम्हान्स) और नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस) को मानसिक बीमारियों के इलाज और इससे संबंधित शोध में तेजी लाने के उद्देश्य से सेंटर फॉर ब्रेन एंड माइंड स्थापित करने के लिए 100 करोड़ रुपये का अनुदान देने की घोषणा की।.

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नई दिल्ली: रोहिणी नीलेकणि फिलैंथ्रोपीज फाउंडेशन ने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेस (निम्हान्स) और नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस) को मानसिक बीमारियों के इलाज और इससे संबंधित शोध में तेजी लाने के उद्देश्य से सेंटर फॉर ब्रेन एंड माइंड स्थापित करने के लिए 100 करोड़ रुपये का अनुदान देने की घोषणा की।

फाउंडेशन ने शुक्रवार को यहां जारी बयान में बताया कि यह सेंटर फॉर ब्रेन एंड माइंड पांच प्रमुख बीमारियों सिज़ोफ्रेनिया, बाइपोलर डिसआर्डर, आब्सेसिव-कंपल्सिव डिसआर्डर, डिमेंशिया और एडिक्शन के कारणों, सहसंबंधों और पाठ्यक्रम को समझने के लिए अत्याधुनिक शोध करेगा और उनके लिए संभावित प्रयास और उपचार की जानकारी प्रदान करेगा। इस करार के तहत रोहिणी नीलेकणि फिलैंथ्रोपीज फाउंडेशन अप्रैल 2023 से अगले पांच वर्षों के लिए सेंटर फॉर ब्रेन एंड माइंड की गतिविधियों का समर्थन करेगा।

रोहिणी नीलेकणि फिलैंथ्रोपीज फाउंडेशन की अध्यक्ष रोहिणी नीलेकणि ने कहा ‘‘इस अनुदान के माध्यम से मुझे उम्मीद है कि देश के दो शीर्ष संस्थानों के बीच सहयोग भारत और दुनिया में लाखों लोगों के लिए बेहतर इलाज के लिए विश्वस्तर पर जरुरी जानकारी, एविडेंस और इलाज का सही तरीका प्रदान करेगा। इसका शोध निश्चित रुप से एक अग्रणी भूमिका निभाएगा। साथ ही अकादमिक और अभ्यास दोनों क्षेत्रों को नवाचार की सुविधा प्रदान करेगा।’’

निम्हान्स की निदेशक डॉ. प्रतिमा मूर्ति ने कहा, ‘‘निम्हान्स एनसीबीएस और इनस्टेम के साथ सहयोग कर रहा है ताकि बड़ी संख्या में गंभीर मानसिक बीमारियों वाले रोगियों के परिवारों का अध्ययन किया जा सके और एक विशाल समूह तैयार किया जा सके। इस महत्वपूर्ण पहल में समर्थन करने के लिए रोहिणी नीलेकणि फिलैंथ्रोपीज की आभारी हूं। उनकी यह पहल दीर्घ अवधि में लाभदायक साबित होगी।’’

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