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विकसित भारत के लक्ष्य के लिए दो दशक तक 8% की वृद्धि दर की जरूरत: समीक्षा

नई दिल्ली: भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए दो दशक तक 9 प्रतिशत की दर से बढ़ने की जरूरत है। आíथक समीक्षा में शुक्रवार को यह बात सामने रखी गई है। इस महत्वाकांक्षी लक्षय़ को प्राप्त करने के लिए भूमि और श्रम सहित कई सुधारों की जरूरत है। आíथक समीक्षा में कहा गया है कि इस वृद्धि को हासिल करने के लिए, निवेश दर को मौजूदा 31 प्रतिशत से बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 35 प्रतिशत करना होगा और विनिर्माण क्षेत्र को और विकसित करना होगा तथा एआई, रोबोटिक्स और जैव प्रौद्योगिकी जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में निवेश करना होगा।

भारत को वर्ष 2030-32 तक सालाना 78.5 लाख नई गैर-कृषि नौकरियां पैदा करने, 100 प्रतिशत साक्षरता हासिल करने, शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता विकसित करने और उच्च गुणवत्ता वाले, भविष्य के लिए तैयार बुनियादी ढांचे को बड़े पैमाने पर और गति के साथ विकसित करने की भी आवशय़कता होगी। आíथक समीक्षा 2024-25 में कहा गया, ‘‘भारत को जिस तेज़ आíथक वृद्धि की जरूरत है, वह तभी संभव है जब केंद्र और राज्य सरकारें ऐसे सुधारों को लागू करना जारी रखें जो छोटे और मझोले उद्यमों का कुशलतापूर्वक संचालन करने और लागत-प्रभावी तरीके से प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दें.. सुधारों और आíथक नीति का ध्यान अब व्यवस्थित विनियमन पर होना चाहिए।’ समीक्षा में यह भी कहा गया है कि विनियमन का स्तर न्यूनतम होना चाहिए क्योंकि छोटे और मझोले उद्यमों के पास सीमित प्रबंधकीय और अन्य संसाधन होते हैं।

जिन क्षेत्रों में व्यवस्थित सुधारों की ज़रूरत है, उनकी सूची में भूमि, श्रम, भवन, उपयोगिताएं और सार्वजनिक सेवा वितरण शामिल हैं। समीक्षा में कहा गया, ‘कारोबार सुगमता (ईओडीबी) 2.0 एक राज्य सरकार की अगुवाई वाली पहल होनी चाहिए, जो व्यापार करने में होने वाली असुविधा के मूल कारणों को ठीक करने पर केंद्रित हो।’ इसमें कहा गया है कि जहां केंद्र सरकार प्राथमिक कानून बनाती है, वहीं राज्यों के पास अधीनस्थ विनियमों में संशोधन करके विनियमन हटाने का विकल्प भी होता है। विनियमन हटाने के अवसरों की पहचान करते समय राज्यों को इन विकल्पों पर विचार करना चाहिए।

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