Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

चालू वित्त वर्ष में एक लाख करोड़ रुपए का परिचालन लाभ कमा सकती हैं: Petroleum companies

मुंबई: घरेलू बाजार में ऊंचे खुदरा मूल्य और विदेशी बाजारों में कच्चे तेल के दाम कमोबेश निचले स्तर पर रहने से पेट्रोलियम विपणन कंपनियों को चालू वित्त वर्ष में कम-से-कम एक लाख करोड़ रुपये का कर-पूर्व लाभ हासिल होने की उम्मीद है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। चालू वित्त वर्ष में अबतक कच्चे तेल की कीमत एक साल पहले की तुलना में 30 प्रतिशत से अधिक नीचे आ चुकी है। वहीं पेट्रोलियम कंपनियों ने इस दौरान दाम नहीं घटाए हैं। तेल कीमतों में मई, 2022 से कोई बदलाव नहीं हुआ है।

क्रिसिल ने बुधवार को जारी एक नोट में कहा कि चालू वित्त वर्ष में पेट्रोलियम विपणन कंपनियां (ओएमीसी) एक लाख करोड़ रुपए का परिचालन लाभ कमा सकती हैं। वित्त वर्ष 2016-17 से 2021-22 के दौरान पेट्रोलियम कंपनियों का औसत परिचालन लाभ 60,000 करोड़ रुपए रहा था। पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में तो यह 33,000 करोड़ रुपए के निचले स्तर पर आ गया था। यह रिपोर्ट सार्वजनिक क्षेत्र की तीन पेट्रोलियम कंपनियों पर आधारित है। पेट्रोलियम कंपनियां दो कारोबार से पैसा कमाती हैं। पहला रिफाइनिंग है।

इसमें उन्हें सकल रिफाइनिंग मार्जिन मिलता है। यह रिफाइनरी के गेट पर शोधित उत्पाद के दाम में से कच्चे तेल का दाम घटाकर निकाला जाता है। दूसरा कारोबार पेट्रोल पंपों के जरिए पेट्रोल, डीजल की बिक्री का है। इसमें उन्हें ईंधन उत्पादों पर मार्जिन मिलता है। वित्त वर्ष 2022-23 में पेट्रोलियम कंपनियों का सकल रिफाइनिंग मार्जिन औसतन 15 डॉलर प्रति बैरल था। इसकी वजह विशेषरूप से डीजल की मांग मजबूत रहना है। वैकल्पिक ईंधन मसलन प्राकृतिक गैस के दाम बढ़ने तथा यूक्रेन पर हमले के बाद रूसी उत्पादों पर यूरोपीय संघ के प्रतिबंध की वजह से डीजल की मांग मजबूत रही थी।

हालांकि, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बावजूद इन कंपनियों को ऊंचा खुदरा दाम नहीं मिला। वित्त वर्ष के लिए कच्चे तेल का औसत दाम 94 डॉलर प्रति बैरल था। मई, 2022 से खुदरा कीमतों में बदलाव नहीं हुआ है। इसके चलते पेट्रोलियम कंपनियों को मजबूत रिफाइंिनग मार्जिन के बावजूद विपणन पर आठ रुपये प्रति लीटर का नुकसान हुआ, जिससे पूरे वित्त वर्ष के दौरान उनका मुनाफा प्रभावित हुआ। रिपोर्ट कहती है कि अच्छी बात यह है कि अब कच्चे तेल के दाम नीचे आ गए हैं।

इसके चलते 2022-23 की पहली तिमाही में परिचालन नुकसान उठाने के बाद चौथी तिमाही तक इन कंपनियों ने ऊंचा परिचालन लाभ कमाया है। इन पेट्रोलियम कंपनियों ने 2016-17 से 2022-23 के बीच अपने निवेश को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाकर 3.3 लाख करोड़ रुपये किया है। इससे उनका सकल कर्ज भी दोगुना होकर 2016-17 के 1.2 लाख करोड़ रुपए से बढक़र 2.6 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। हालांकि, इस दौरान उनका मुनाफा कमजोर रहा है।चालू वित्त वर्ष में पेट्रोलियम कंपनियों का निवेश 54,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।

Exit mobile version