Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

जलवायु नीतियों के बावजूद 2050 तक गरीब देशों में उपभोक्ता कीमतें होंगी तीन गुना

नई दिल्ली: महत्वाकांक्षी जलवायु नीतियों के बावजूद कम आय वाले देशों में 2050 तक उपभोक्ता खाद्य कीमतों में 2.45 गुना वृद्धि होगी। एक अध्ययन में यह जानकारी देते कहा गया कि इस दौरान उत्पादक कीमतें बढ़कर 3.3 गुना हो जाएंगी। जर्मनी के पॉट्सडैम इंस्टीच्यूट फॉर क्लाइमैट इम्पैक्ट रिसर्च (पीआईके) के शोधकर्ताओं ने कहा कि कम आय वाले देशों में उपभोक्ता कीमतों में बढ़ौतरी से किसान कम प्रभावित होंगे, लेकिन फिर भी इन देशों में लोगों के लिए पर्याप्त और स्वस्थ भोजन खरीदना मुश्किल हो जाएगा। पीआईके के वैज्ञानिक और नेचर फूड में प्रकाशित अध्ययन के प्रमुख लेखक डेविड मेंग-चुएन चेन ने कहा कि अमरीका या जर्मनी जैसे उच्च आय वाले देशों में, किसानों को खाद्य खर्च का एक चौथाई से भी कम मिलता है, जबकि उप-सहारा अफ्रीका में यह 70 प्रतिशत से अधिक है, जहां खेती की लागत खाद्य कीमतों का एक बड़ा हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि यह अंतर इस बात को रेखांकित करता है कि विभिन्न क्षेत्रों में खाद्य प्रणालियां कितने अलग-अलग तरीके से काम करती हैं। शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि जैसे-जैसे अर्थव्यवस्थाएं विकसित होंगी और खाद्य प्रणालियां औद्योगिक होंगी, किसानों को उपभोक्ता व्यय का कम हिस्सा मिलेगा। वेिषण के लिए शोधकर्ताओं ने सांख्यिकीय और प्रक्रिया-आधारित मॉडल का उपयोग करके 136 देशों और 11 खाद्य समूहों में खाद्य मूल्य घटकों का मूल्यांकन किया। संपूर्ण खाद्य मूल्य श्रृंखलाओं का वेिषण करने से शोधकर्ताओं को यह समझने में भी मदद मिली कि ग्रीनहाऊस गैसों को कम करने के उद्देश्य से बनाई गई नीतियां उपभोक्ताओं को कैसे प्रभावित करती हैं। चेन ने कहा कि कृषि में उत्सजर्न को कम करने के उद्देश्य से बनाई गई जलवायु नीतियां अक्सर खाद्य कीमतों में वृद्धि के बारे में चिंताएं पैदा करती हैं। वेिषण के मुताबिक आधुनिक खाद्य प्रणालियों की लंबी आपूíत श्रृंखलाएं उपभोक्ता कीमतों को भारी वृद्धि से बचाती हैं।

Exit mobile version