सगापुर : भारत में डिजीटल बदलाव और उन्नत प्रौद्योगिकियों का विकास पूरी गति से हो रहा है, लेकिन साइबर विशेषज्ञों ने डाटा की सुरक्षा के बारे में चिंता व्यक्त की है जिसे देश को अपने पड़ोस के विरोधियों और बढ़ते घोटालों को देखते हुए प्रबंधित करना होगा। सिंगापुर साइबर वीक-2023 के मौके पर विशेषज्ञों ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकीविदों और व्यावसायिक अधिकारियों को प्रौद्योगिकी-संचालित खतरों से निपटने के लिए सहयोग करते हुए एक व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना चाहिए।
सिंगापुर साइबर वीक2023, 17 से 19 अक्तूबर तक यहां आयोजित किया गया। विशेषज्ञों ने कहा कि पिछले छह महीनों में ऐसे हमलों के से तीन सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा/अनुसंधान और यूटिलिटी रहे। खुदरा, आतिथ्य, विनिर्माण और परिवहन क्षेत्रों को भी तेजी से साइबर सुरक्षा को लेकर कदम उठाना चाहिए।
चैक प्वाइंट की हालिया थ्रैट इंटैलीजैंस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले छह महीनों में भारत में प्रत्येक संगठन पर औसतन प्रति सप्ताह 2,157 बार हमले हुए, जबकि वैश्विक स्तर पर प्रति संगठन 1,139 बार हमले हुए। अगस्त में सरकार ने डिजीटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम, 2023 पारित किया था।
भारत में सुरक्षा को लेकर अब भी चिंतित:
एनटीटी लिमिटेड में एपीएसी के उपाध्यक्ष एवं साइबर सुरक्षा प्रमुख आशीष थापर ने कहा कि इससे बहुराष्ट्रीय निगमों (एमएनसी) में अधिक विश्वास उत्पन्न हुआ है, हालांकि वे भारत में सुरक्षा को लेकर अब भी चिंतित हैं। चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद (क्वाड) और जी20 मंचों में भारत की भागीदारी साइबर सुरक्षा के निर्माण के लिए अच्छी है लेकिन फिर भी यह पर्याप्त नहीं है।
उन्होंने कहा कि क्वाड में कथित तौर पर एक नए सूचना-साझाकरण समझौते पर काम चल रहा है और इसके चार सदस्यों आस्ट्रेलिया, जापान, भारत और अमेरिका को साइबर-मजबूती के साथ महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा जोखिमों पर प्रतिक्रिया देने में मदद मिलेगी।