नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक ने बहुत सीमित उपयोग के लिये प्रायोगिक आधार पर सरल डिजिटल रुपये की शुरुआत की है और सही मायने में बलॉकचेन आधारित डिजिटल मुद्रा के उलट यह पारंपरिक बैंक खाते की ही तरह है, जिसमें लेन-देन को लेकर रुपये के स्थान पर डिजिटल टोकन का उपयोग किया जाएगा। वास्तव में केंद्रीय बैंक को पूर्ण डिजिटल मुद्रा को लेकर अभी लंबा रास्ता तय करना है। आरबीआई के प्रायोगिक तौर पर खुदरा डिजिटल रुपया शुरू किये जाने के साथ पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने यह बात कही है।
उन्होंने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था में मुद्रा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है लेकिन यह विकास का कोई प्राथमिक कारक नहीं है। डिजिटल व्यवस्था में सहज लोगों के लिये यह अच्छा है, लेकिन नकदी पर भरोसा करने वाले आम आदमी के लिये यह बहुत मायने नहीं रखता है।
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने एक दिसंबर को पायलट यानी प्रायोगिक आधार पर खुदरा डिजिटल रुपया चार शहरों… मुंबई, नयी दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में शुरू किया। ग्राहकों और कारोबारियों के बीच सीमित स्तर पर लेन-देन को लेकर फिलहाल चार बैंकों… भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के साथ इसकी शुरुआत की गयी है। इससे पहले, आरबीआई ने थोक आधार पर लेन-देन को लेकर (मुख्य रूप से सरकारी प्रतिभूतियों में लेन-देन के लिये) एक नवंबर को डिजिटल रुपये की शुरुआत की थी।