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छठ पर 12,000 करोड़ रुपये का व्यापार होने का अनुमान : कैट

नई दिल्ली। करवा चौथ, धनतेरस और दीपावली के बाद अब देश में चार दिवसीय छठ की शुरुआत हो रही है। त्योहारी सीजन में बिक्री पर नजर रखने वाले कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की ओर से छठ पर्व पर अपेक्षित बिक्री के आंकड़े जारी किए गए हैं। कैट के अनुसार, इस साल छठ पर पूरे देश में 12,000 करोड़ रुपये का व्यापार होगा। इसके अलावा, करीब 15 करोड़ लोग छठ पूजा से जुड़े अनुष्ठानों में भाग लेंगे। विशेष रूप से बिहार और झारखंड के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला यह पर्व दिल्ली में हर वर्ष बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। दिल्ली में पूर्वांचल के लोगों की अच्छी-खासी आबादी है, जो कि चांदनी चौक, सदर बाजार, मॉडल टाउन, अशोक विहार, शालीमार बाग, पीतमपुरा, रानी बाग, उत्तम नगर, तिलक नगर में बसती है।

इसके अलावा, दिल्ली के कई दूसरे इलाकों में भी छठ के दौरान खरीदारी के लिए खास कर पूजा से जुड़े सामान के लिए लोग बाजारों की तरफ रुख कर रहे हैं। बिहार, झारखंड और दिल्ली के अलावा, देश के कई दूसरे राज्यों में इस पर्व की चकाचौंध देखने को मिल रही है। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने कहा कि बिहार और झारखंड के अलावा छठ पूजा पूर्वी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, विदर्भ और मध्य प्रदेश में भी बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है।

कैट के महासचिव और सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने छठ पर्व की महत्ता पर जोर देते हुए कहा, ‘छठ पूजा केवल एक धार्मकि त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है, जो सामाजिक एकता और समर्पण को दर्शाता है। यह व्यापार को भी बढ़ावा देता है और स्थानीय उत्पादकों को सीधा लाभ देता है, जो पीएम नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को पुष्ट करता है।‘

कैट के अनुसार, छठ के इस महापर्व पर लोग मिठाइयों, फल और सब्जियों की सबसे ज्यादा खरीदारी कर रहे हैं। इसके अलावा, पूजा के लिए बांस की टोकरियां, केले के पत्ते, गन्ना जैसी चीजों की भी जरूरत बनी हुई है। जिसकी वजह से इन सभी चीजों की भारी मांग देखी गई है। इस पर्व के दौरान लोग नए वस्त्र की भी जमकर खरीदारी कर रहे हैं। इसलिए साड़ी, लहंगा-चुन्नी, सलवार-कुर्ता, पुरुषों के लिए कुर्ता-पायजामा, धोती जैसे पारंपरिक परिधानों की खूब खरीद हो रही है। छठ पूजा के लिए परिधानों की इस खरीदारी का स्थानीय व्यापारियों और लघु उद्योगों को फायदा मिल रहा है। छोटे पैमाने पर बनाए जाने वाले हस्तनिर्मति सामानों की भी अच्छी बिक्री हो रही है।

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