नयी दिल्ली: फिच रेटिंग्स ने मंगलवार को भारत की सॉवरेन रेटिंग के परिदृश्य को स्थिर बताते हुए कहा कि देश में मजबूत वृद्धि परिदृश्य बना हुआ है। उसने एक बयान में कहा, ‘‘फिच रेटिंग्स ने भारत की दीर्घकालिक विदेशी-मुद्रा जारीकर्ता डिफॉल्ट रेटिंग (आईडीआर) को स्थिर परिदृश्य के साथ ‘बीबीबी-’ पर रखा है।’’ फिच रेटिंग्स ने कहा कि सॉवरेन रेटिंग के लिए मजबूत वृद्धि क्षमता एक महत्वपूर्ण कारक है। हालांकि, कमजोर सार्वजनिक वित्त एक चुनौती बना हुआ है। उसने कहा, ‘‘भारत की रेटिंग अन्य समकक्षों की तुलना में मजबूत वृद्धि परिदृश्य और बाहरी वित्तीय लचीलापन दर्शाती है जिसने भारत को पिछले वर्ष में बड़े बाहरी झटकों से पार पाने में मदद की है।’’ एजेंसी ने भारत की रेटिंग को ‘‘बीबीबी-’’ पर रखा है जो अगस्त 2006 से सबसे कम निवेश ग्रेड रेटिंग है। रेटिंग एजेंसी के अनुमानों से लगता है कि चालू वित्त वर्ष (अप्रैल 2023-मार्च 2024) में छह प्रतिशत वृद्धि के साथ भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाले देशों में से एक होगा।
एजेंसी ने 2022-23 में सात प्रतिशत और 2024-25 में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है। फिच ने कहा कि भारत को महामारी के चलते मांग में कमी के साथ ही उच्च मुद्रास्फीति, उच्च ब्याज दरों और वैश्विक मांग में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कॉरपोरेट और बैंकों के बहीखातों में सुधार के बाद निजी क्षेत्र मजबूत निवेश वृद्धि के लिए तैयार दिखाई दे रहा है। इसके अलावा सरकार के बुनियादी ढांचा को बढ़ावा देने से भी वृद्धि संभावनाएं तेज हो गई हैं। इसके बावजूद निम्न श्रम बल भागीदारी और असमान सुधार को देखते हुए जोखिम बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां विभिन्न देशों की सरकारों की उधार चुकाने की क्षमता के आधार पर ‘सॉवरेन रेटिंग’ तय करती हैं। इसके लिए वह अर्थव्यवस्था, बाजार और राजनीतिक जोखिम को आधार मानती हैं। रेटिंग यह बताती है कि एक देश भविष्य में अपनी देनदारियों को चुका सकेगा या नहीं? आमतौर पर पूरी दुनिया में स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी), फिच और मूडीज इन्वेस्टर्स ही सॉवरेन रेटिंग तय करती हैं।