नई दिल्ली: फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है। मार्च में उसने इसके 7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। रेटिंग एजैंसी ने उपभोक्ता खर्च में सुधार और निवेश में वृद्धि का हवाला देते हुए मंगलवार को अनुमान में संशोधन किया। फिच ने जून में अपनी वैश्विक आíथक परिदृशय़ रिपोर्ट में कहा कि इस वर्ष के अंत तक मुद्रास्फीति घटकर 4.5 प्रतिशत पर आ जाएगी और भारतीय रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करके इसे 6.25 प्रतिशत पर ले आएगा।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.2 प्रतिशत की मजबूत दर से बढ़ेगी।’’ रेटिंग एजैंसी ने कहा कि निवेश में वृद्धि जारी रहेगी, लेकिन हाल की तिमाहियों की तुलना में इसकी रफ्तार धीमी रहेगी, जबकि उपभोक्ता भरोसा बढ़ने के साथ उपभोक्ता खर्च में सुधार होगा। फिच ने वित्त वर्ष 2025-26 और 2026-27 के लिए क्रमश: 6.5 प्रतिशत और 6.2 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है। फिच का अनुमान आरबीआई के अनुमान के अनुरूप है। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में अनुमान लगाया था कि ग्रामीण मांग में सुधार और मुद्रास्फीति में नरमी से चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी।
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने जहां सात प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है, वहीं एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स और मॉर्गन स्टेनली ने 6.8 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है। मूडीज रैटिंग्स और डेलॉयट इंडिया का अनुमान है कि 2024-25 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रहेगी। गत वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत बढ़ी थी। फिच ने कहा कि क्रय प्रबंधकों के सव्रेक्षण के आंकड़े चालू वित्त वर्ष की शुरुआत में निरंतर वृद्धि की ओर इशारा करते हैं। मानसून के सामान्य रहने के संकेत वृद्धि को बढ़ावा देंगे और मुद्रास्फीति को कम अस्थिर बनाएंगे।
हालांकि, हाल ही में भीषण गर्मी ने जोखिम उत्पन्न किया है। एजैंसी ने कहा कि आधिकारिक पूर्वानुमानों के अनुसार जून-सितंबर में वर्षा औसत से अधिक रहने की संभावना है। इससे मुद्रास्फीति का जोखिम सीमित हो जाएगा। फिच ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि कैलेंडर वर्ष के अंत तक कुल मुद्रास्फीति घटकर 4.5 प्रतिशत रह जाएगी। यह 2025 तथा 2026 में औसतन 4.3 प्रतिशत रहेगी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मई में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर एक साल के निचले स्तर 4.75 प्रतिशत पर आ गई है।