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तैरती जेट्टी से तटीय राज्यों में पर्यटन और आर्थिक विकास को मिला बल : Sarbananda Sonowal

नई दिल्लीः केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानन्द सोनोवाल ने कहा है कि सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत कर्नाटक और तमिलनाडु में पोतों के पड़ाव के लिए तैरती जेट्टी परियोजनाओं से इन दोनों राज्यों में पर्यटन तथा सामाजिक आर्थिक विकास को बल मिल रहा है। मंत्रालय की गुरुवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार तमिलनाडु और कर्नाटक में चार-चार फ्लोटिंग जेट्टी परियोजनाओं को और मंजूरी दी गई है। कर्नाटक में उपरोक्त परियोजनाओं को मिलाकर अब तक कुल 11 फ्लोटिंग जेट्टी परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है।

मंत्रालय के बयान में सोनोवाल के हवाले से कहा गया है , “ हमारे प्रधानमंत्री मजबूत कनेक्टिविटी (सम्पर्क सुविधा) उपलब्ध कराने पर जोर देते हैं क्यों कि विकसित भारत के निर्माण के लिए यह आवश्यक है। इन जेट्टियों के चालू हो जाने से कर्नाटक और तमिलनाडु के इन क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास को गति मिलेगी तथा जल सम्बंधी पर्यटन व क्षेत्रीय कारोबार के लिये नए मार्ग खुलेंगे, साथ ही स्थानीय आबादी के लिए अधिक रोजगार अवसर पैदा होंगे।”

सागरमाला कार्यक्रम के तहत एक पहल फ्लोटिंग जेट्टी पारिस्थितिकी तंत्र की अनोखी तथा नवाचारी अवधारणा को प्रोत्साहित और विकसित करना है। सागरमाला के अधिकार-क्षेत्र में मंत्रालय ने सैद्धांतिक रूप से चार अतिरिक्त परयोजनायें स्वीकार की हैं, जिन्हें मिलाकर कर्नाटक में कुल 11 फ्लोटिंग जेट्टी परियोजनायें हो जाएंगी। ये परियोजनायें मुख्य रूप से गुरुपुरा नदी और नेत्रावती नदी पर स्थित हैं और इन्हें पर्यटन के उद्देश्य से इस्तेमाल किया जायेगा। इनके अन्य स्थल हैं तन्नीर भावी चर्च, बांगड़ा कुलुरू, कुलुरु ब्रिज और जप्पीना मोगारू एनएच ब्रिज।

इसके अतिरिक्त मंत्रालय ने तमिलनाडु में भी चार फ्लोटिंग जेट्टी परियोजनाओं को स्वीकृति दी है। इनमें से दो – अग्नि तीर्थम् और विल्लूडी तीर्थम की परियोजनायें रामेश्वरम में हैं। बाकी दो परियोजनाएं कुड्डलोर और कन्याकुमारी से जुड़ी हैं और इन विशिष्ट पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की जरूरतें पूरी होंगी। मंत्रालय ने कहा है कि तैरती जेट्टी से पर्यटकों को सुरक्षित, सुचारु पोत परिवहन की सुविधा मिलेगी और तटीय समुदाय के आमूल विकास और उन्नयन का मार्ग प्रशस्त होगा।

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