कोलकाता: हाल में घोषित विदेश व्यापार नीति-2023 से कारोबारी भावना को बढ़ावा मिलेगा और निर्यात में अग्रणी बनने के भारत के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। प्रमुख उद्योग निकायों ने यह बात कही। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की निर्यात और आयात पर राष्ट्रीय समिति के चेयरमैन संजय बुधिया ने कहा कि नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) में निर्यात प्रदर्शन सीमा में कमी से निर्यातकों के लिए लेनदेन लागत कम होगी। उन्होंने कहा कि नीति में लेनदेन की लागत को कम करने पर जोर दिया गया है, जिससे एमएसएमई को बढ़ावा मिलेगा और भारतीय रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण भी होगा।
बुधिया ने कहा कि मुकदमों को कम करने के लिए निर्यात दायित्व (ईओ) में चूक के लिए एकमुश्त आम माफी योजना की शुरुआत एक स्वागतयोग्य कदम है।इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद (ईईपीसी) के चेयरमैन अरुण कुमार गरोडिया ने कहा कि एफटीपी व्यावहारिक और सकारात्मक है। इससे एमएसएमई को वैश्विक मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बनने में मदद मिलेगी और माल तथा सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि नीति ई-कॉमर्स और हरित ऊर्जा जैसे नए क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित करती है, जिनमें निर्यात की बड़ी संभावनाएं हैं।