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सरकार ने अनिवार्य Jute Packaging नियमों को आगे बढाने की मंजूरी दी

नई दिल्ली: सरकार ने पैकेंजिग में जूट के अनिवार्य उपयोग के नियमों को आगे बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में जूट वर्ष 2022-23 (एक जुलाई, 2022 से 30 जून, 2023) के लिए पैकेंजिग में जूट के अनिवार्य इस्तेमाल के आरक्षण संबंधी नियमों को मंजूरी दी गई। इन नियमों के तहत खाद्यान्न की 100 प्रतिशत और चीनी की 20 प्रतिशत पैंकिग जूट बैग में करना अनिवार्य है। इन नियमों को मंजूरी से जूट मिलों और अन्य संबद्ध इकाइयों में कार्यरत 3.7 लाख श्रमिकों को बड़ी राहत मिलेगी।

इससे कई लाख किसान परिवारों की आजीविका को भी समर्थन मिलेगा। इससे पर्यावरण सुरक्षा में भी मदद मिलेगी क्ज़्योंकि जूट एक प्राकृतिक, बायोडिग्रेडेबल, नवीकरणीय और पुन: उपयोग वाला फाइबर है और सभी स्थिरता मानकों को पूरा करता है। जूट उद्योग देश की अर्थव्यवस्था विशेषरूप से पूर्वी क्षेत्र…मसलन पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, त्रिपुरा, मेघालय के लिए महत्वपूर्ण है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए भी यह काफी महत्व रखता है।जूट पैकेंजिग सामग्री (जेपीएम) अधिनियम के तहत आरक्षण नियम जूट क्षेत्र में 3.7 लाख श्रमिकों और कई लाख जूट किसानों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ज़्ध कराता हैं।

जेपीएम अधिनियम, 1987 जूट किसानों, कामगारों और जूट सामान के उत्पादन में लगे व्यक्तियों के हितों की रक्षा करता है। जूट उद्योग के कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत जूट के बोरे (सैंकिग बैग) हैं, जिसमें से 85 प्रतिशत की आपूर्ति भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य खरीद एजेंसियों (एसपीए) को की जाती है और बकाया उत्ज़्पादन का निर्यात/सीधी बिक्री की जाती है। सरकार खाद्यान्नों की पैंकिग के लिए हर साल लगभग 9,000 करोड़ रुपये मूल्ज़्य के जूट के बोरे खरीदती है जिससे जूट किसानों और कामगारों को उनकी उपज के लिए गारंटीशुदा बाजार सुनिश्चित होता है।

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