नयी दिल्ली: हाल ही में समाप्त वित्त वर्ष 2022-23 में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की अदायगी से बचने की कोशिश को कर अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर नाकाम किया और 1.01 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी का पता लगाया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि जीएसटी आसूचना महानिदेशालय (डीजीजीआई) के अधिकारियों ने पिछले वित्त वर्ष में कर चोरी करने वालों से 21,000 करोड़ रुपये की वसूली भी की। अधिकारी ने कहा कि सरकार कर अनुपालन बढ़ाने के लिए कदम उठा रही है और धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए डेटा विश्लेषण एवं मानवीय खुफिया सूचनाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है।
अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘डीजीसीआई अधिकारियों ने वित्त वर्ष 2022-23 में 1,01,300 करोड़ रुपये की कर चोरी का पता लगाया है जो पिछले साल की तुलना में करीब दोगुना है। वित्त वर्ष 2021-22 में डीजीसीआई ने 54,000 करोड़ रुपये की कर चोरी का पता लगाया था।’’ बीते वित्त वर्ष में कर चोरी के करीब 14,000 मामले दर्ज किए गए जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 12,574 था। जीएसटी कर देने से बचने के लिए कारोबारी कर-योग्य माल एवं सेवाओं के मूल्य को घटाकर दिखाने के साथ कर छूट के गलत दावे पेश करने और इनपुट कर क्रेडिट (आईटीसी) लेने में भीगड़बड़ी करते हैं। इसके अलावा फर्जी रसीदें जमा करने और फर्जी कंपनियों के साथ लेनदेन का ब्योरा भी दिखाया जाता है।