नई दिल्ली: डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स एसोसिएशन (डीआईपीए) ने कहा कि अर्बन वायरलैस टैलीडैंसिटी पहले से ही 131.45 प्रतिशत है और जीडीपी में टैलीकम्युनिकेशन 6.5 प्रतिशत से अधिक योगदान दे रहा है। इसी के साथ भारत एक ऐसे महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच गया है, जहां कनैक्टिविटी अपनी पारंपरिक सीमाओं को पार कर गई है। डिजिटल इकोनॉमी के 2025 के अंत तक 1 ट्रिलियन (खरब) डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। डीआईपीए के महानिदेशक मनोज कुमार सिंह ने कहा, ‘हम परिवेशी बुद्धिमत्ता (एंबिएंट इंटैलिजैंस) के जन्म के साक्षी हैं, जहां कनैक्टिविटी दैनिक जीवन के हर पहलू को सशक्त बनाने वाली अदृश्य शक्ति बन गई है।’ भारत का टैलीकम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर अब केवल लोगों को जोड़ने के लिए नहीं बल्कि, समाज के अलग-अलग पहलुओं को आपस में जोड़ने और संचालित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने बताया, ‘भविष्य कनैक्टिड लिविंग एनवॉयरमैंट का है, जहां स्वचालित सिस्टम, मेश नैटवर्क और इंटैलिजैंट एप्लिकेशन मिलकर मानवीय अनुभव को बेहतर बनाने के लिए काम करते हैं। यह वृद्धिशील सुधार नहीं है। यह तकनीक मानवता की सेवा कैसे करती है, इसकी एक मौलिक पुनर्कल्पना है।’ भारत के दूरसंचार ऑप्रेटरों ने मार्च 2025 तक 4.78 लाख 5जी बेस ट्रांसीवर स्टेशन (बीटीएस) स्थापित किए हैं, जो सभी तकनीकों में कुल 30 लाख बीटीएस का योगदान करते हैं। कनैक्टिड लिविंग ने स्वास्थ्य सेवा में आईओटी मैडीकल डिवाइस के माध्यम से पेशैंट मॉनीटरिंग में क्रांति ला दी है, जो महत्वपूर्ण डाटा को एआई सिस्टम तक पहुंचाते हैं। ये एआई सिस्टम विसंगतियों के क्लीनिकली अपीयर होने से कई घंटों और दिनों पहले पता लगाने में सक्षम है। किसानों ने औसतन 28 प्रतिशत की उपज में वृद्धि की रिपोर्ट की है, जबकि पानी की खपत में 31 प्रतिशत की कमी आई है।