नई दिल्ली: भारत का केमिकल और पेट्रोकेमिकल सेक्टर 2025 तक बढ़कर 300 अरब डॉलर का हो सकता है। मौजूदा समय में यह 220 अरब डॉलर पर है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को यह बयान दिया। ‘इंडिया केम 2024’ के दौरान ‘पेट्रोकेमिकल पर गोलमेज सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2040 तक केमिकल की मांग लगभग तीन गुना होने का अनुमान है और भारत की पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है।
केमिकल इंडस्ट्री भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसका सकल घरेलू उत्पाद में योगदान लगभग 6 प्रतिशत है और इससे 50 लाख से अधिक लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होते हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “भारत में पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में अगले दशक में 87 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश आने का अनुमान है, जो वैश्विक पेट्रोकेमिकल वृद्धि का 10 प्रतिशत से अधिक का प्रतिनिधित्व करता है।”
भारत में केमिकल की वार्षिक खपत 25 से 30 मिलियन टन है, जो कि प्रति व्यक्ति हिसाब से दुनिया के विकसित देशों से काफी कम है। इस कारण से केमिकल सेक्टर में विकास की प्रबल संभावनाएं हैं। वैश्विक स्तर पर भारत दुनिया का छठा और एशिया में तीसरा सबसे बड़ा केमिकल उत्पादक देश है। भारत की ओर से केमिकल का निर्यात 175 से अधिक देशों को किया जाता है।
पुरी ने इस बात पर जोर दिया कि केमिकल और पेट्रोकेमिकल वैश्विक तेल मांग में वृद्धि को बढ़ावा देंगे, भारत की एकीकृत पेट्रोकेमिकल क्षमता इसकी विस्तारित शोधन क्षमताओं से निकटता से जुड़ी हुई है। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि भारत की पेट्रोकेमिकल क्षमता में लगातार विस्तार हो रहा है। 2030 तक इसके 46 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जो कि मौजूदा समय में 29.62 मिलियन टन है।