श्रम प्रधान क्षेत्रों में वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी पिछले 5 साल में घटी: FIEO 

नई दिल्ली: परिधान, समुद्री उत्पाद, प्लास्टिक और रत्न तथा आभूषण जैसे श्रम-गहन क्षेत्रों में ‘परेशान करने वाले रुझान’ दिख रहे हैं। फियो की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान इन क्षेत्रों में वैश्विक निर्यात में देश की हिस्सेदारी घट रही है। निर्यातकों के शीर्ष संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट.

नई दिल्ली: परिधान, समुद्री उत्पाद, प्लास्टिक और रत्न तथा आभूषण जैसे श्रम-गहन क्षेत्रों में ‘परेशान करने वाले रुझान’ दिख रहे हैं। फियो की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान इन क्षेत्रों में वैश्विक निर्यात में देश की हिस्सेदारी घट रही है। निर्यातकों के शीर्ष संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) ने यह भी कहा कि लगभग 40 अरब अमेरिकी डॉलर की निर्यात वृद्धि के संबंध में सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि इसमें भारत से यूरोप को किए गए कच्चे तेल की बड़ी हिस्सेदारी हो सकती है।

रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसे में यह वृद्धि आने वाले वर्षों में टिकाऊ नहीं हो सकती है। फियो के मुताबिक, श्रम प्रधान क्षेत्रों में निर्यात हिस्सेदारी घटी है, जो चिंता की बात है। ये क्षेत्र बड़ी संख्या में रोजगार पैदा करते हैं और साथ ही शुद्ध उच्च-मूल्य संवर्धन में भी महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि इस चुनौती से निपटने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो बाजार हिस्सेदारी घटने के कारणों की पड़ताल करे।

पारंपरिक क्षेत्रों को बढ़ावा देने के महत्व पर विस्तार से बताते हुए फियो ने कहा कि मोबाइल फोन का निर्यात, जिसकी राशि 10 अरब डॉलर है, उसका शुद्ध मूल्य लगभग एक-दो अरब डॉलर है। दूसरी ओर पारंपरिक क्षेत्रों के 10 अरब डॉलर मूल्य के निर्यात में नौ अरब डॉलर से अधिक का शुद्ध मूल्य होता है।

 

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