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Innovation, भंडारण की लागत से देश में तय होगा Renewable Energy का भविष्य: Tarun Kapoor

नयी दिल्ली: भारत में नवीकरणीय ऊर्जा का भविष्य नवोन्मेषण और भंडारण लागत पर निर्भर करेगा। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने ऊर्जा भंडारण के अव्यावहारिक मूल्य की ओर इशारा करते हुए यह बात कही है। भारत के 2030 तक 500 गीगावॉट के अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य को देखते हुए उनका यह बयान काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। प्रधानमंत्री के सलाहकार तरुण कपूर ने बुधवार को यहां ‘इंडिया एनर्जी स्टोरेज वीक’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘नवीकरणीय ऊर्जा का भविष्य पूरी तरह से नवोन्मेषण और भंडारण लागत में कमी, कम जगह (ऊर्जा भंडारण के लिए), उच्च ऊर्जा घनत्व के उपयोग और सामग्री (ऊर्जा भंडारण के उत्पादन में काम आने वाली) पर निर्भर है।’’ उन्होंने भंडारण के साथ जुड़े ऊर्जा उत्पादन के लिए हाल में निकाली गई निविदाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि ऊर्जा की कीमत लगभग 11 रुपये प्रति यूनिट (भंडारण शुल्क के अलावा सौर ऊर्जा की 2.5 रुपये प्रति यूनिट लागत सहित) थी।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में नवीकरणीय ऊर्जा 22-23 प्रतिशत (ग्रिड में कुल फीड का) है। कपूर का मानना है कि नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी को बिना किसी विशेष परेशानी के बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जा सकता है। हालांकि, इससे अधिक हिस्सेदारी के लिए भंडारण महत्वपूर्ण होगा। जीवाश्म ईंधन को बदलने और इलेक्ट्रिक की ओर स्थानांतरण पर उन्होंने कहा कि भारत को इसके लिए भंडारण समाधान की जरूरत है। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भारत में भंडारण कलपुर्जों का विनिर्माण करना चाहती हैं। भारत में बैटरी विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का जिक्र करते हुए कपूर ने कहा कि पीएलआई योजना का एक और चरण हो सकता है। ‘‘आगे चलकर हम बैटरी विनिर्माण के लिए किसी तरह के अन्य समर्थन पर भी विचार कर सकते हैं।’’

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