नई दिल्ली: यूपीआई को दुनिया भर में सफलता मिल रही है, लेकिन इसे लेकर अभी भी भाषा, स्थान और लिंग संबंधी बाधाएं बनी हुई हैं। गूगल पे के उत्पाद प्रबंधन निदेशक शरत बुलुसु ने शुक्रवार को कहा कि यूपीआई को लेकर भाषा, स्थान और लिंग संबंधी बाधाओं को तोड़ने के लिए और अधिक काम करने की जरूरत है। राष्ट्रीय राजधानी में हुए गूगल के कार्यक्रम के दौरान बातचीत में बुलुश ने कहा कि यूपीआई को लेकर उन व्यापक उपयोगकर्ताओं तक पहुंचने की जरूरत है, जिनकी डिजीटल पेमेंट तक पहुंच नहीं है। उन्होंने आगे कहा, ‘यूपीआई वैश्विक स्तर पर सफल रहा है, हालांकि, अभी और अधिक वृद्धि होनी बाकी है। अभी ऐसे बहुत से उपयोगकर्ता हैं, जिनकी डिजीटल पेमेंट और डिजीटल फाइनेंस तक पहुंच नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘हमें बाधाओं को तोड़ने के लिए बहुत कुछ करना चाहिए, चाहे वह भाषा, पृष्ठभूमि, स्थान या लिंग से जुड़ी हो। हमें एक बेहतर डिजाइन का इस्तेमाल कर जिम्मेदारी के साथ इन बाधाओं को दूर करने के बारे में सोचना चाहिए। मुझे लगता है कि वैश्विक मान्यता लोगों के लिए यूपीआई से जुड़ने का आत्मविश्वास बढ़ाती है।‘ उन्होंने कहा डिजीटल टैक्नोलॉजी और डिजीटल प्लेटफॉर्म को लेकर सभी को समान एक्सैस और सर्विस क्वालिटी मिलनी चाहिए। यह मायने नहीं रखता है कि आप ग्रामीण भारत के किसी कोने से आए किसान हैं या दिल्ली जैसे शहर में रहने वाले सैलरी पाने वाली कर्मचारी। बुलुसु ने यूपीआई की सफलता का श्रेय ‘‘निजी कंपनियों के संयुक्त प्रयासों, एनपीसीआई, आरबीआई और सरकारी समर्थन’’ को दिया।