हरिद्वार: सुप्रीम कोर्ट द्वारा फटकार लगाने पर पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड संस्थान की ओर से एक प्रैस कांफ्रैंस की गई, जिसमें उन्होंने कहा हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं और यदि हम झूठे विज्ञापन या प्रोपेगेंडा करें तो हम पर करोड़ों का जुर्माना लगाए या हमें फांसी की सजा भी दे तो हमें आपत्ति नहीं होगी, लेकिन हम झूठा प्रचार नहीं कर रहे है। योगायुर्वेद, नेचरोपैथी, पंचकर्म, षट्कर्म की सैकड़ों थैरेपी, उपवास व उपासना पद्धति के इंटीग्रेटिड ट्रीटमेंट से हमने लाखों लोगों को रोगमुक्त किया है।
बीपी, शुगर, थायराइड, अस्थमा, आर्थराइिटस व मोटापा से लेकर लीवर, किडनी फेल्यिर व कैंसर जैसे प्राणघातक रोगों से हमने हजारों लोगों को मुक्त किया। इसका एक करोड़ से अधिक लोगों का डेटा बेस, रियल वर्ल्ड एविडैंस व क्लीनिकल एविडैंस हमारे पास है। हमारे पास ट्रेडिशनल ट्रीटमैंट व सनातन ज्ञान परम्पर पर शोध करने के लिए विश्व का श्रेष्ठतम रिसर्च सैंटर, पतंजलि रिसर्च फाऊंडेशन है।
जहां सैकड़ों वर्ल्ड रिनाउंड साइंटिस्ट रिसर्च कर रहे हैं तथा 3,000 से अधिक रिसर्च प्रोटोकॉल फोलो करके 500 रिसर्च पेपर वर्ल्ड के टॉप रिसर्च जनरल्स में पब्लिश हो चुके हैं। मैडिकल सैक्टर के कुछ हठी, दुराग्रही व योगायुर्वेद व नेचरोपैथी का विरोध करने वाले तथाकथित कुंठित डाक्टरों को बहुत बडी समस्या है। यह सत्य है कि सिंथेटिक दवाओं से रोगों को कंट्रोल तो कर सकते हैं, लेकिन क्योर नहीं कर सकते।
साथ ही एलोपैथी से भी एडवांस ट्रीटमैंट जो हमने वेदों आयुर्वेद के महर्षि चरक, महर्षि सुश्रुत व महर्षि धनवन्तरि, पतंजलि से प्राप्त किया है, उसको वैज्ञानिकता व प्रमाणकिता से व्यापार के लिए नहीं, उपचार व उपकार की भावना से आगे बढ़ा रहे हैं व बढ़ाते रहेंगे। जरूरत पड़ने पर हम कोर्ट व मीडिया के सामने सारे तथ्य व प्रमाण भी रखने के लिए तैयार हैं।