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RBI गवर्नर Sanjay Malhotra ने दिए संकेत, कहा- ‘2025 में अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावना’

RBI Governor Sanjay Malhotra

Sanjay Malhotra

RBI Governor Sanjay Malhotra : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नवनियुक्त गवर्नर संजय मल्होत्रा ने सोमवार को कहा कि 2025 में उच्च उपभोक्ता व कारोबारी विश्वास के बल पर भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाएं बेहतर होने की उम्मीद है। केंद्रीय बैंक के वृद्धि के मुकाबले मुद्रास्फीति को प्राथमिकता देने को लेकर सरकार की आलोचना के बीच मल्होत्रा ने यह बात कहीं है।

वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट की प्रस्तावना में मल्होत्रा ने लिखा, कि ‘भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए उच्च वृद्धि पथ को समर्थन देने के लिए वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने का प्रयास करने के साथ-साथ हमारा ध्यान वित्तीय संस्थानों की स्थिरता तथा अधिक व्यापक रूप से प्रणालीगत स्थिरता बनाए रखने पर भी है।’’ उन्होंने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था के चालू वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही में गति पकड़ने की उम्मीद है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा, कि ‘वैश्विक वृहद-वित्तीय मोर्चे पर छाई अनिश्चितताओं के बावजूद 2024-25 की पहली छमाही में आर्थिक गतिविधि की गति में सुस्ती के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाओं में सुधार होने की उम्मीद है।’’ मल्होत्रा ने इस महीने की शुरूआत में 26वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला था। उन्होंने कहा, कि ‘आने वाले वर्ष के लिए उपभोक्ता व कारोबारी विश्वास ऊंचा बना हुआ है और निवेश परिदृश्य बेहतर है क्योंकि संगठन मजबूत बही-खाते तथा उच्च लाभप्रदता के साथ 2025 में प्रवेश कर रहे हैं।’’

वित्त मंत्रालय ने नवंबर के मासिक आर्थिक सव्रेक्षण में पहली छमाही में वृद्धि में नरमी के मुद्दे को उठाते हुए चिंता जाहिर की थी कि इस संभावना से इनकार नहीं किया जाना चाहिए कि संरचनात्मक कारकों ने भी पहली छमाही में सुस्ती को बढ़ाया है। भारत ने सितंबर, 2024 को समाप्त चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि में सुस्ती दर्ज की, और यह सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर आ गई। पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के लिए जीडीपी वृद्धि दर छह प्रतिशत रही है।

वृद्धि में सुस्ती और मुद्रास्फीति में नरमी के कारण आरबीआई के आगामी मौद्रिक नीति समिति की बैठक में नीतिगत दरों में कटौती करने की अटकले हैं। मल्होत्रा ने कहा कि भारत में वित्तीय क्षेत्र के नियामक भी सुधारों को तेज कर रहे हैं और अपनी निगरानी बढ़ा रहे हैं क्योंकि वित्तीय प्रणाली मजबूत आय, डूबे कर्ज के निचले स्तर तथा मजबूत पूंजी भंडार से सुदृढ़ हुई है जैसा कि इस रिपोर्ट में सामने आया है।

उन्होंने कहा कि दबाव परीक्षण के परिणाम से पता चलता है कि बैकिंग प्रणाली के साथ-साथ गैर-बैकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का पूंजी स्तर प्रतिकूल दबाव परिदृश्याेंमें भी नियामकीय न्यूनतम मानक से काफी ऊपर रहेगा। गवर्नर ने कहा, कि ‘हम भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्याें का समर्थन करने के लिए जनता का भरोसा तथा विश्वास बनाए रखने के लिए काम कर रहे हैं। हम एक ऐसी आधुनिक वित्तीय प्रणाली विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो ग्राहक-केंद्रित, प्रौद्योगिकी रूप से सशक्त तथा वित्तीय रूप से समावेशी हो।’’

वैश्विक अर्थव्यवस्था का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक तथा आर्थिक नीति अनिश्चितता, निरंतर संघर्षों और विखंडित अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं शुल्क माहौल से उत्पन्न विकट चुनौतियों के बावजूद मजबूत बना हुआ है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में गिरावट जारी रहेगी और आगामी वर्ष में यह लक्ष्य के अनुरूप होगी, जिससे क्रय क्षमता में सुधार होगा। मल्होत्रा ने कहा कि जैसे-जैसे मौद्रिक नीति आíर्थिक गतिविधियों को और अधिक समर्थन देने के लिए आगे बढ़ेगी, वित्तीय स्थितियां आसान बने रहने की उम्मीद की जा सकती है। इससे वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद की गति के सुधार में योगदान मिलेगा।

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