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RBI गवर्नर Shaktikanta Das ने दी चेतावनी, अगले वित्तीय संकट की वजह बन सकती है क्रिप्टोकरेंसी

मुंबई: निजी क्रिप्टोकरेंसी जैसे सट्टेबाजी के साधनों को अगर बढऩे की इजाजत दी गई, तो ये अगले वित्तीय संकट की वजह बन सकते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को यह चेतावनी दी। उन्होंने साथ ही बिटकॉइन जैसे साधनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की। दास ऐसे साधनों के.

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मुंबई: निजी क्रिप्टोकरेंसी जैसे सट्टेबाजी के साधनों को अगर बढऩे की इजाजत दी गई, तो ये अगले वित्तीय संकट की वजह बन सकते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को यह चेतावनी दी।

उन्होंने साथ ही बिटकॉइन जैसे साधनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की। दास ऐसे साधनों के प्रबल विरोधी रहे हैं और आरबीआई इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय तक गया है। उन्होंने यहां ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘बीएफएसआई इनसाइट समिट 2022’ में कहा, ‘‘क्रिप्टोकरेंसी.. में व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता से जुड़े बड़े जोखिम शामिल हैं और हम इस बारे में हमेशा बताते रहे हैं।’’ आरबीआई गवर्नर ने कहा कि पिछले एक साल के घटनाक्रम इस तरह के साधनों से पैदा होने वाले खतरों के बारे में बताते हैं। इनमें क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज एफटीएक्स का धराशायी होना शामिल है, जो अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़ी वित्तीय धोखाधड़ी में से एक है।

दास ने कहा, ‘‘इतना सब होने के बाद, मुझे नहीं लगता कि हमें अपने रुख के बारे में कुछ और कहने की जरूरत है।’’ निजी क्रिप्टोकरेंसी का मूल्यांकन 190 अरब अमेरिकी डॉलर से घटकर 140 अरब डॉलर रह गया है। उन्होंने कहा कि भारत में बुनियादी आíथक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं, लेकिन बाहरी कारकों से अर्थव्यवस्था को कुछ ‘नुकसान’ होगा। हालांकि, आरबीआई 70 संकेतकों पर नजर रखता है और उनमें से ज्यादातर अच्छी स्थिति में हैं। केंद्रीय बैंक ने इस महीने की शुरुआत में अगले वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने वृद्धि दर के अनुमान को पहले के सात प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है।

दास ने कहा कि भारतीय वित्तीय क्षेत्र जुझारू बना हुआ है और काफी बेहतर स्थिति में है। उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि के लिए नियामक और वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों, दोनों को श्रेय जाता है। दास ने कहा कि मौद्रिक नीति मुद्रास्फीति और विकास पर घरेलू कारकों द्वारा निर्देशित होती रहेगी। इसके अलावा यह अमेरिकी फेडरल बैंक की कार्रवाई जैसी अन्य चीजों पर भी गौर करती है। दास ने मुद्रास्फीति पर कहा कि महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच बेहद समन्वित प्रयास रहा है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि जमा और ऋण वृद्धि के बीच तुलनात्मक रूप से कोई खास अंतर नहीं है, और जो अंतर लग रहा है, वह आधार प्रभाव के कारण है।

 

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