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डॉलर मजबूत होने से रुपए में गिरावट, फइक के हस्तक्षेप से निर्यात को हो सकता नुक्सान : Raghuram Rajan

दावोस: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भारतीय रुपए में गिरावट के लिए पूरी तरह से अमरीकी डॉलर के मजबूत होने को जिम्मेदार ठहराते कहा कि इसमें आरबीआई का कोई भी हस्तक्षेप भारतीय निर्यात को नुक्सान पहुंचा सकता है। उन्होंने साथ ही नीति निर्माताओं से अधिक नौकरियों के सृजन और घरेलू उपभोग को बढ़ावा देने पर ध्यान देने का आग्रह किया। यह पूछे जाने पर कि अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के वैश्विक तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में क्या मायने होंगे, राजन ने कहा, ‘मुझे लगता है कि इसका मतलब अनिश्चितता है।

राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने अभियान के दौरान कई नीतियों और उपायों की रूपरेखा तैयार की थी, जिन्हें वह लागू करना चाहते हैं।’ अमरीकी डॉलर में वृद्धि और अन्य मुद्राओं खासकर रुपए सहित उभरते बाजारों पर इसके प्रभाव के बारे में राजन ने कहा कि डॉलर अन्य मुद्राओं की तुलना में मजबूत हो रहा है, जिसकी आंशिक वजह ट्रंप के संभावित शुल्क की घोषणा है। भारतीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा, ‘यदि वह शुल्क लगाते हैं, तो इससे अन्य देशों से अमरीका का आयात कम हो जाएगा तथा चालू खाता घाटा और व्यापार घाटा कम हो जाएगा।

इस दृष्टिकोण से अमरीका को कम आयात करना होगा और इसलिए डॉलर मजबूत होगा क्योंकि बाकी दुनिया में डॉलर कम होगा। तो, इसकी प्रत्यक्ष वजह यही है।’ उन्होंने कहा, ‘एक समझ यह भी है कि अमरीका निवेश के लिए अधिक आकर्षक स्थान बनता जा रहा है, क्योंकि जो लोग अमरीका को निर्यात नहीं कर सकते, वे अपना उत्पादन अमरीका में करेंगे। इससे शेयर बाजार में तेजी आएगी और डॉलर भी मजबूत होगा।’

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