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रूस ने सुदूर-पूर्व और चेन्नई के बीच समुद्री मार्ग विकसित करने में रुचि दिखाई 

व्लादिवोस्तोक (रूस): रूस ने व्लादिवोस्तोक और भारत के दक्षिणी महानगर के बीच एक वैकल्पिक समुद्री मार्ग विकसित करने सहित कारोबारी अवसरों का पता लगाने के लिए चेन्नई में एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भेजने की इच्छा जताई दिखाई है। एक सरकारी बयान के अनुसार, रूस के ऊर्जा उप-मंत्री सर्गेई मोचलनिकोव और रूसी संघ के आर्थिक विकास मंत्रालय के मैक्सिम रेशेतनिकोव के नेतृत्व में एक रूसी प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के दौरान यहां केंद्रीय बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल को यह जानकारी दी गई।
सोनोवाल ने रूस के सुदूर-पूर्व और भारत के बंदरगाह अधिकारियों, रूसी रेलवे, दोनों देशों की ‘लॉजिस्टिक्स’ और पोत परिवहन कंपनियों, भारत और रूस सहित अन्य स्थानों के कोंकिंग कोयला कारोबार के ट्रांसपोर्टर के बीच एक आम बैठक का मंच प्रदान करने के लिए चेन्नई में पूर्वी समुद्री गलियारे पर भारत-रूस कार्यशाला के लिए निमंत्रण भी दिया। सोनोवाल आठवीं पूर्वी आर्थिक मंच की बैठक में हिस्सा लेने के लिए एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए व्लादिवोस्तोक में हैं।
बयान में कहा गया है कि रूस सरकार ने द्विपक्षीय चर्चा के माध्यम से अवसरों और संभावनाओं का पता लगाने के लिए एक बड़े व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के साथ चेन्नई बंदरगाह का दौरा करने की इच्छा व्यक्त की। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पूर्वी समुद्री गलियारे (ईएमसी) के संचालन से भारत और रूस के बीच व्यापार संबंधों के एक नए युग की शुरुआत होगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के तहत भारत अभिनव समाधान निकालने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।
इस कार्यशाला का आयोजन 30 अक्टूबर से एक नवंबर, 2023 तक चेन्नई में करने का प्रस्ताव है। भारत के समुद्री कार्यक्रम और उसके प्रमुख कार्यक्रम सागरमाला का उल्लेख करते हुए सोनोवाल ने कहा कि वर्ष 2015 में भारत के समुद्र तट और जलमार्गों की पूरी क्षमता को खोलकर लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह परियोजना शुरू की गई थी।
उन्होंने कहा कि सागरमाला का दृष्टिकोण बंदरगाह नीत विकास के माध्यम से अनुकूलित बुनियादी ढांचे में निवेश के साथ घरेलू और एक्जिम कार्गो दोनों के लिए ‘लाजिस्टिक्स’ की लागत को कम करना है। वर्तमान में, सागरमाला परियोजना के तहत वर्ष 2035 तक कार्यान्वयन के लिए 65 अरब डॉलर से अधिक के निवेश की 802 परियोजनाएं हैं। इनमें से 14.6 अरब डॉलर की 228 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और 27 अरब डॉलर की 260 परियोजनाएं कार्यान्वयन के स्तर पर हैं।
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