Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

परिवहन ढांचे पर खर्च से बनेगी 5,000 अरब डॉलर की Infrastructure की राह : Report

नई दिल्ली: अप्रैल से शुरू होने जा रहे अगले वित्त वर्ष में भारत परिवहन ढांचागत सुविधाओं पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.7 प्रतिशत व्यय करने जा रहा है जो अमेरिका और अधिकांश यूरोपीय देशों की तुलना में करीब दोगुना है। प्रतिष्ठित पत्रिका ‘द इकनॉमिस्ट’ ने इस बेहद ऊंचे आंकड़े की तारीफ करते हुए कहा है कि इससे भारत को पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने का रास्ता तैयार होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए ढांचागत क्षेत्र के लिए पूंजीगत आवंटन बढ़ाकर 122 अरब डॉलर कर दिया है। इससे वैश्विक मंदी के बीच आर्थिक गतिविधियों को मजबूती मिलने के साथ रोजगार सृजन को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, मोदी सरकार ने रेलवे के ढांचागत विस्तार के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं जो वित्त वर्ष 2013-14 में आवंटित राशि का

नौ गुना है। इसके अलावा सड़कों के लिए आवंटन 36 प्रतिशत बढ़ाकर 2.7 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। साथ में हवाई अड्डों, हेलिपोर्ट, उन्नत लैंडिंग ग्राउंड के विकास पर भी व्यय किया जाएगा। सरकार ने बंदरगाहों, कोयला, इस्पात, उर्वरक एवं खाद्यान्न क्षेत्रों के लिए अंतिम मुकाम तक पहुंच मुहैया कराने के लिए 100 महत्वपूर्ण परिवहन ढांचागत परियोजनाएं चिह्नित की हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा था कि इन पर 75,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा जिसमें निजी स्रोतों से भी 15,000 करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे। ‘द इकनॉमिस्ट’ ने इन तमाम बिंदुओं का जिक्र करते हुए कहा है कि ढांचागत सुविधाओं के विस्तार पर मोदी सरकार के अत्यधिक बल देने से भारत के वर्ष 2025-26 तक पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।

फिलहाल भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 3.5 लाख करोड़ डॉलर है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, अगर ढांचागत क्षेत्र अपने-आप में एक केंद्रीय मंत्रालय होता तो उसके लिए किया गया आवंटन वित्त एवं रक्षा मंत्रालयों के बाद तीसरे स्थान पर होता। इस उदार व्यय का घोषित उद्देश्य लॉजिस्टिक पर आने वाली लागत को जीडीपी के 14 प्रतिशत से घटाकर वर्ष 2030 तक आठ प्रतिशत पर लाना है। इस पत्रिका की रिपोर्ट में ढांचागत विस्तार पर सरकारी व्यय बढ़ाने के साथ ही बड़ी तेजी से लागू किए जा रहे प्रशासनिक सुधारों का भी उल्लेख किया गया है। ‘द इकनॉमिस्ट’ ने कहा, ‘‘नए परिवहन ढांचे की बदलावकारी ताकत को लेकर प्रधानमंत्री का भरोसा अच्छी तरह सोचा-समझा हुआ है। यह उस उच्च वृद्धि की पूर्व-शर्त है जिसकी आकांक्षा भारत ने संजोई हुई है।’’

Exit mobile version