नयी दिल्ली : उभरते उद्यमियों के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के कारण देश की स्टार्टअप कंपनियां अगले साल यानी 2023 में अच्छा-खासा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आर्किषत करेंगी। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव अनुराग जैन ने मंगलवार को यह राय जताई। जैन ने कहा कि भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र है और जिस तरह से यहां की स्टार्टअप इकाइयां प्रदर्शन कर रही हैं, जल्द ही भारत वैश्विक स्तर पर शीर्ष पारिस्थितिकी तंत्र बन जाएगा।
सचिव ने कहा, ‘‘मान्यता प्राप्त स्टार्टअप इकाइयों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। स्टार्टअप के लिए फंड ऑफ फंड्स (एफएफएस) और स्टार्टअप इंडिया शुरुआती कोष योजना (एसआईएसएफएस) अच्छा कर रही हैं। ऐसे में स्टार्टअप इकाइयां 2023 में अच्छा-खासा एफडीआई आर्किषत कर पाएंगी। जैन ने कहा कि फिलहाल भारत में सबसे अधिक उदार एफडीआई नीतियां हैं। बहुत कम क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें विदेशी निवेश के लिए सरकारी मंजूरी की जरूरत है। सरकार ने देश के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में नवोन्मेषण और निजी निवेश को प्रोत्साहित देने के इरादे से 16 जनवरी, 2016 को स्टार्टअप इंडिया पहल शुरू की थी।
स्टार्टअप के लिए एक कार्ययोजना भी निर्धारित की गई थी। इस योजना में सरलीकरण और समर्थन, प्रोत्साहन और उद्योग-अकादमिक साझेदारी और इनकुबेशन जैसे 19 कार्रवाई योग्य चीजें तय की गई थीं। स्टार्टअप इंडिया के तहत डीपीआईआईटी द्वारा पात्रता शर्तों के आधार पर स्टार्टअप को मान्यता दी जाती है। 30 नवंबर तक देशभर में 84,000 से अधिक इकाइयों को स्टार्टअप के रूप में मान्यता दी गई है। एफएफएस योजना, एसआईएसएफएस और स्टार्टअप के लिए ऋण गारंटी योजना (सीजीएसएस) के तहत इन इकाइयों को उनके कारोबार के विभिन्न चरणों के दौरान पूंजी प्रदान की जाती है।
आंकड़ों के अनुसार, 93 वैकल्पिक निवेश कोषों (एआईएफ) को 30 नवंबर तक एफएफएस के तहत 7,528 करोड़ रुपये की राशि दी गई है। इन एआईएफ ने 773 स्टार्टअप में निवेश की प्रतिबद्धता जताई है।