नई दिल्ली: दोपहिया वाहन मौजूदा भारतीय दौर में एक जरूरत है, न कि विलासिता की वस्तु और इन वाहनों पर करों को कम किया जाना चाहिए। होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया (एचएमएसआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही। एचएमएसआई के निदेशक (बिक्री और विपणन) योगेश माथुर ने एक साक्षात्कार में बताया कि उद्योग अगले वित्त वर्ष में एकल अंकों की वृद्धि दर्ज कर सकता है।
उन्होंने कहा कि मध्यम आय वाले लोगों को फिर से खर्च करना शुरू करने में सक्षम बनाने के लिए आयकर को युक्तिसंगत बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में मोटरसाइकिल की बिक्री ने स्कूटर खंड के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। इसकी वजह मानसून में देरी सहित कई कारकों के चलते ग्रामीण बाजार से मांग में नरमी है।
माथुर ने दोपहिया वाहनों पर करों में कटौती के लिए उद्योग की मांगों के बारे में पूछने पर कहा, जीएसटी के युक्तिकरण के तहत हम सरकार से इसका ध्यान रखने का अनुरोध कर रहे हैं, क्योंकि दोपहिया वाहन वास्तव में एक विलासिता नहीं हैं। यह हमारे लोगों के आवागमन के लिए एक आवशय़कता है। उन्होंने बताया कि अभी भी भारत में अंतिम छोर तक संपर्क नहीं है और ऐसे में दोपहिया वाहन अभी भी विलासिता के बजाय जरूरत अधिक हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसे में दोपहिया वाहनों पर 28 प्रतिशत कर नहीं लगाया जाना चाहिए, और उद्योग ने इस बारे में सरकार से अनुरोध किया है। मौजूदा नियमों के तहत 350 सीसी इंजन तक के दोपहिया वाहनों पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगता है, जबकि 350 सीसी से अधिक इंजन क्षमता वाले वाहनों पर तीन प्रतिशत उपकर लगता है, जिससे कुल देय कर 31 प्रतिशत हो जाता है।