नई दिल्ली: देश में कई युवा उपभोक्ता अपनी खरीदारी का निर्णय किसी ब्रांड के बारे में ‘चर्चा’ के आधार पर करते हैं। नई पीढ़ी के ब्रांड संस्थापकों ने यह बात कही है। उनका कहना है कि युवा उपभोक्ता उत्पाद के बजाय किसी ब्रांड पर चर्चा के आधार पर खरीद करते हैं। स्थिरता और ब्रांड से जुड़ाव के युग में डी2सी (सीधे उपभोक्ताओं तक) और नई पीढ़ी की कंपनियों के संस्थापकों को लगता है कि उनके बारे में लोगों के विचार सुनकर उपभोक्ता बार-बार खरीदारी करने के लिए प्रेरित होते हैं, लेकिन दूसरों को लगता है कि उपभोक्ता को उत्पाद आश्वस्त करता है।
क्योंकि यही उनकी एक समस्या का समाधान करता है। शार्क टैंक से प्रसिद्ध हुए ओरल केयर ब्रांड परफोरा के संस्थापक जतन बावा ने कहा कि लोग एक ऐसे नए ब्रांड की कहानी में दिलचस्पी लेते हैं, जो पुराने ब्रांड के विपरीत यथास्थिति को चुनौती दे रहा है, जिनके संस्थापकों या ब्रांड निर्माण की कहानी अच्छी तरह से ज्ञात नहीं है। महिला प्रौद्योगिकी स्टार्टअप सिरोना के सह-संस्थापक और ‘एंजल’ निवेशक दीप बजाज मानते हैं कि लोग उन वादों के आधार पर ब्रांड खरीदते हैं।
जिनके बारे में उन्होंने सुना होता है। उन्होंने कहा कि जो स्टार्टअप बड़े पैमाने पर विज्ञापन नहीं कर सकते, वे नई पीढ़ी के साथ अपनी कहानियां साझा कर सकते हैं। स्लीपी कॉफी के सह-संस्थापक अरमान सूद के विचार कुछ अलग हैं। वह कहते हैं कि लोग ब्रांड के बारे में चर्चा के आधार पर खरीदारी नहीं करते। उन्होंने कहा,जरूरी नहीं कि लोग चर्चा के आधार पर ही कोई ब्रांड खरीदें।
लोग उत्पाद इसलिए खरीदते हैं वह उनकी जरूरत होता है। उन्होंने हालांकि कहा कि जब एक समस्या के लिए कई समाधान मिलते हैं तो ग्राहक लोगों से चर्चा करते हैं। सूद ने कहा, ग्राहकों को समय के साथ एहसास होता है कि ऐसे कई उत्पाद हैं जो उनकी जरूरत को पूरा कर सकते हैं।’’