इस वर्ष अक्षय तृतीया 22 अप्रैल दिन शनिवार को मनाई जा रही है। इस दिन मां लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है और माना जाता है कि यह दिन माता लक्ष्मी की कृपा पाने का अच्छा अवसर है। माना जाता है कि इस दिन आप जो भी शुभ कार्य करते हैं उसका अच्छा फल.
इंसान अपने जीवन में सुख समृद्धि को पहने के लिए बहुत कुछ करते है। लेकिन बहुत बार बेहद मेहनत करने के बाद भी इंसान को उसकी मेहनत का फल नहीं मिल पाता। और बहुत बार लोग अपनी मुश्किलों को कम करने के लिए उपाय करते है। जिससे उन्हें जीवन में एक नई उमीद मिलती है।.
मंगलवार का दिन भगवान हनुमान जी को समर्पित किया जाता है। इस दिनभगवान हनुमान जी अपने भगतों और आपकी कृपा करते है और उनकी मनोकामनाएं भी पूरी करते है। नबहुत से लोग इस दिन भगवान हनुमान जी की कृपा पाने के लिए व्रत भी रखने है। माना जाता है कि जिस भी व्यक्ति पर भगवान.
अंक 1 नए विचारों या आध्यात्मिक लोगों की तरफ आकर्षित हो सकते हैं। अपनी सूझबूझ का प्रयोग करें किन्तु कारणों को नजरअंदाज न करें, खासकर जब बात मौके का फायदा उठाने की आती है। अंक 2 कोई बुजुर्ग आपके कोई अच्छी सलाह देंगे । आज नए अनुभव, कार्यक्रम और योजनाएं आपके पक्ष में हैं। आप.
शुभ विक्रम संवत्-2079, शक संवत्-1944, हिजरी सन्-1443, ईस्वी सन्-2022 संवत्सर नाम-राक्षस अयन-उत्तरायण मास-चैत्र पक्ष-शुक्ल ऋतु-वसन्त वार-सोमवार तिथि (सूर्योदयकालीन)-दशमी नक्षत्र (सूर्योदयकालीन)-पुष्य योग (सूर्योदयकालीन)-धृति करण (सूर्योदयकालीन)-तैतिल लग्न (सूर्योदयकालीन)-मीन शुभ समय- 6:00 से 7:30 तक, 9:00 से 10:30 तक, 3:31 से 6:41 तक राहुकाल-प्रात: 7:30 से 9:00 बजे तक दिशा शूल-आग्नेय योगिनी वास-उत्तर गुरु तारा-उदित शुक्र तारा-उदित चंद्र.
मेष आज का दिन विद्यार्थियों के लिए अच्छा रहने वाला है और उनकी धार्मिक कार्यों के प्रति आज आस्था बढे़गी। यदि आपको किसी बात पर क्रोध आ रहा था, तो दूर होगा और लंबे समय से रुके हुए कार्य को प्रगति मिलने से आप प्रसन्न रहेंगे। भाग्य का आपको पूरा साथ मिलेगा, लेकिन जीवनसाथी की.
उद्धारपूर्ण भावनाएं शुद्ध, शक्तिशाली भावनाओं को जगाती है। गीता में श्रीकृष्ण, अर्जुन को राजा अंबरीष के माध्यम से सच्चे भक्त के गुण बताते हुए कहते हैं, ‘उन्होंने अपना मन श्रीकृष्ण के चरण कमलों में एकाग्र किया था, वाणी को भगवद धाम का वर्णन करने में लगाया, हाथों को हरिमंदिर की सफाई में व्यस्त किया, कानों.
श्री वल्लभाचार्य का जन्म विक्रम संवत् 1535, वैशाख कृष्ण एकादशी को चम्पारण्य में हुआ था। इनकी माता का नाम इलम्मा तथा इनके पिता का नाम श्रीलक्ष्मण भट्ट था। इनके पिता सोमयज्ञ की पूर्णाहुति पर काशी में एक लाख ब्राह्मणों को भोजन कराने जा रहे थे, उसी समय रास्ते में चम्पारण्य में श्रीवल्लभाचार्य का जन्म हुआ.
श्री गुरु ग्रंथ साहिब के संकलनकर्त्ता पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जुन देव की वाणी भारत की एक ऐसी अमूल्य धरोहर है जो हमारी संस्कृति, वैश्विक चेतना तथा जीव मात्र के प्रति प्रीति और सदाशयता की साक्षी है। सच्चाई पर प्राण न्यौछावर करने वाले तथा संगीत को संत भाषा देने वाले श्री गुरु अर्जुन देव का.