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झारखंड में हजारों एकड़ क्षेत्र में लहलहा रही अफीम की फसल

रांची: झारखंड में नक्सलियों के संरक्षण में नशे की फसल लहलहा रही है। राज्य के एक दर्जन जिलों में हजारों एकड़ इलाके में अफीम की खेती हुई है। इस अवैध साम्राज्य के खिलाफ पुलिस और वन विभाग के अभियान से वे बौखलाहट में हैं। चतरा जिले में बुधवार को पुलिस टीम पर नक्सलियों के हमले के पीछे की वजह भी यही है। पुलिस और वन विभाग की टीम वशिष्ठ नगर थाना क्षेत्र के गंभारतरी जंगल में अफीम की फसल नष्ट कर लौट रही थी, तभी नक्सलियों ने घात लगाकर अंधाधुंध फायरिंग की।

जब तक पुलिस जवाबी मोर्चा ले पाती, उनकी गोलियों से 2 जवान शहीद हो गए, जबकि 3 गंभीर रूप से जख्मी हैं। झारखंड पुलिस की स्पेशल ब्रांच और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने खूंटी और रांची के जंगलों-पहाड़ों का सैटेलाइट इमेज निकाला तो खुलासा हुआ कि जंगलों और पहाड़ों के बीच बड़े पैमाने अफीम की फसल लगाई गई है। इनमें से कई इलाके ऐसे हैं जहां तक पुलिस और वन विभाग की टीम के लिए पैदल पहुंचना भी आसान नहीं।

चतरा जिले की बात करें तो प्रतापपुर, कुंदा, लावालौंग, कान्हाचट्टी, सदर प्रखंड में करीब 200 से भी ज्यादा गांवों में इस साल रैयती और वन भूमि पर अफीम की खेती हुई है। सूचना है कि लावालौंग के चमरवार, ढुबा, सरोना नदी के किनारे, बनवार, जोरी थाना क्षेत्र के मनामातु कोल्हुआ, घटहारी, सजनी, सदर थाना क्षेत्र के कठोन, वाड़ी साइम, शेरपुर, जमुनियातरी, रोटिया, बेरियो, सेल, बेदाग और बेलगड़ा, चिलोई, चेलमा, ककनातु रेगनियातरी, कुलवार गांव में करीब एक हजार एकड़ जमीन पर नक्सलियों ने खेती करवाई है।

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