नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मेघालय में चंद्र मोहन झा (सीएमजे) विश्वविद्यालय को बंद करने का बृहस्पतिवार को आदेश दिया और कुप्रबंधन एवं कई अन्य कमियों के कारण संस्थान को बंद करने के राज्य सरकार के 2014 के फैसले को बरकरार रखा।
न्यायमूíत पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूíत संदीप मेहता की पीठ ने माना कि कुलपति की नियुक्ति के लिए सीएमजे विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 14(1) के तहत निर्धारित प्रक्रिया का उचित पालन नहीं किया गया। इसने कहा कि उच्च न्यायालय की खंडपीठ का सीएमजे विश्वविद्यालय के कुलाधिपति की नियुक्ति को अवैध करार देने का निर्णय सही है।
शीर्ष अदालत ने कहा, ह्लहम मानते हैं कि (विश्वविद्यालय) बंद करने का 31 मार्च 2014 काआदेश अधिनियम की धारा 48 के तहत उल्लिखित प्रक्रियात्मक आवशय़कताओं का सख्ती पालन करते हुए और इस अदालत द्वारा जारी निर्देशों के अनुपालन में पारित किया गया है.. हम 31 मार्च 2014 के आदेश के तहत सीएमजे विश्वविद्यालय को बंद करने के राज्य सरकार के फैसले की पुष्टि करते हैं।ह्व अदालत ने राज्य सरकार को अपने निर्णय के बाद उचित कदम उठाने की अनुमति दी।
पीठ ने कहा है कि मेघालय सरकार ने सीएमजे विश्वविद्यालय को अपनी गड़बड़ियों को सुधारने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान किए थे। साल 2009 में स्थापित इस विश्वविद्यालय ने 2012 और 2013 के बीच रिकॉर्ड संख्या में 434 पीएचडी डिग्रियां प्रदान कीं। इसके अलावा यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) मानदंडों का उल्लंघन करते हुए 490 से अधिक पीएचडी विद्याíथयों को पंजीकृत किया।