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domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init
action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114धर्म : धनासरी महला ५ ॥ जिनि तुम भेजे तिनहि बुलाए सुख सहज सेती घरि आउ ॥ अनद मंगल गुन गाउ सहज धुनि निहचल राजु कमाउ ॥१॥ तुम घरि आवहु मेरे मीत ॥ तुमरे दोखी हरि आपि निवारे अपदा भई बितीत ॥ रहाउ ॥ प्रगट कीने प्रभ करनेहारे नासन भाजन थाके ॥ घरि मंगल वाजहि नित वाजे अपुनै खसमि निवाजे ॥२॥ असथिर रहहु डोलहु मत कबहू गुर कै बचनि अधारि ॥ जै जै कारु सगल भू मंडल मुख ऊजल दरबार ॥३॥ जिन के जीअ तिनै ही फेरे आपे भइआ सहाई ॥ अचरजु कीआ करनैहारै नानक सचु वडिआई ॥४॥४॥२८॥
अर्थ: मेरे मित्र (मन)! (अब) तू हृदय-घर में टिका रह (आ जा)। परमात्मा ने खुद ही (कामादिक) तेरे वैरी दूर कर दिए हैं (कामादिक वैरियों से पड़ रही मार की) विपदा (अब) समाप्त हो गई है। रहाउ।(हे मेरी जिंदे!) जिसने तुझे (संसार में) भेजा है, उसने तुझे अपनी ओर प्रेरित करना आरम्भ किया हुआ है, तू आनंद से आत्मिक अडोलता से हृदय-घर में टिका रह। हे जिंदे! आत्मिक अडोलता की रौंअ(धुन) में, आनंद-खुशी पैदा करने वाले हरी-गुण गाया कर (इस तरह कामादिक वैरियों पर) अटल राज कर।1।(हे मेरी जिंदे!) सब कुछ कर सकने वाले पति-प्रभू ने जिन पर मेहर की, उनके अंदर उसने अपना आप प्रगट कर दिया, उनकी भटकनें खत्म हो गई, उनके हृदय-घर में आत्मिक आनंद के (मानो) बाजे सदा बजने लग जाते हैं।2।(हे जिंदे!) गुरू के उपदेश पर चल के, गुरू के आसरे रह के, तू भी (कामादिक वैरियों की टक्कर में) मजबूती से खड़ा हो जा, देखना, कभी भी डोलना नहीं। सारी सृष्टि में शोभा होगी, प्रभू की हजूरी में तेरा मुँह उज्जवल होगा।3। गुरू नानक जी स्वयं को कहते हैं, हे नानक! जिस प्रभू जी ने जीव पैदा किए हुए हैं, वह स्वयं ही इनको (विकारों से) बचाता है, वह खुद ही मददगार बनता है। सब कुछ कर सकने वाले परमात्मा ने ये अनोखी खेल बना दी है, उसकी महिमा सदा कायम रहने वाली है।4।4।28।