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हुक्मनामा श्री हरमंदिर साहिब जी 20 जनवरी 2025

Daily Hukamnama

Daily Hukamnama

Daily Hukamnama : जैतसरी महला ४ घरु १ चउपदे ੴ सतिगुर प्रसादि ॥मेरै हीअरै रतनु नामु हरि बसिआ गुरि हाथु धरिओ मेरै माथा ॥ जनम जनम के किलबिख दुख उतरे गुरि नामु दीओ रिनु लाथा ॥१॥ मेरे मन भजु राम नामु सभि अरथा ॥ गुरि पूरै हरि नामु द्रिड़ाइआ बिनु नावै जीवनु बिरथा ॥ रहाउ ॥ बिनु गुर मूड़ भए है मनमुख ते मोह माइआ नित फाथा ॥ तिन साधू चरण न सेवे कबहू तिन सभु जनमु अकाथा ॥२॥ जिन साधू चरण साध पग सेवे तिन सफलिओ जनमु सनाथा ॥ मो कउ कीजै दासु दास दासन को हरि दइआ धारि जगंनाथा ॥३॥ हम अंधुले गिआनहीन अगिआनी किउ चालह मारगि पंथा ॥ हम अंधुले कउ गुर अंचलु दीजै जन नानक चलह मिलंथा ॥४॥१॥

Daily Hukamnama अर्थ : राग जैतसरी, घर १ में गुरु रामदास जी की चार-बन्दों वाली बाणी। अकाल पुरख एक है और सतगुरु की कृपा द्वारा मिलता है। (हे भाई! जब) गुरु ने मेरे सिर ऊपर अपना हाथ रखा, तो मेरे हिर्दय में परमात्मा का रतन (जैसा कीमती) नाम आ बसा। (हे भाई! जिस भी मनुख को) गुरु ने परमात्मा का नाम दिया, उस के अनकों जन्मों के पाप दुःख दूर हो गए, (उस के सिर से पापों का कर्ज) उतर गया।१। हे मेरे मन! (सदा) परमात्मा का नाम सुमिरन कर, (परमात्मा) सरे पदार्थ (देने वाला है)। (हे मन! गुरु की सरन में ही रह) पूरे गुरु ने (ही) परमात्मा का नाम (ह्रदय में) पक्का किया है। और, नाम के बिना मनुख जीवन व्यर्थ चला जाता है।रहाउ। हे भाई! जो मनुख अपने मन के पीछे चलते है वह गुरु ( की सरन) के बिना मुर्ख हुए रहते हैं, वह सदा माया के मोह में फसे रहते है। उन्होंने कभी भी गुरु का सहारा नहीं लिया, उनका सारा जीवन व्यर्थ चला जाता है।२। हे भाई! जो मनुष्य गुरू के चरणों की ओट लेते हैं, वे खसम वाले हो जाते हैं, उनकी जिंदगी कामयाब हो जाती है। हे हरी! हे जगत के नाथ! मेरे ऊपर कृपा कर के मुुुझे अपने दासों का दास बना ले।3।हे गुरू! हम माया में अंधे हो रहे हैं, हम आत्मिक जीवन की सूझ से वंचित हैं, हमें सही जीवन जुगति की सूझ नहीं है, हम तेरे बताए हुए जीवन मार्ग पर नहीं चल सकते। गुरू नानक जी कहते हैं, हे नानक! (कह–) हे गुरू! हम अंधों को अपना पल्ला (आंचल)पकड़ा दे, ताकि तेरा संग कर के हम तेरे बताए हुए रास्ते पर चल सकें।4।1।

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