चैत्र माह का पहला प्रदोष व्रत,ऐसे करें भगवान शिव को प्रसन्न,जानिए पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त

अप्रैल के महीने में 21 तारीख यानि आज रविवार को प्रदोष व्रत का पहला दिन है। इस दिन प्रभु शिव की पूजा अर्चना की जाती है।

धर्म :- अप्रैल के महीने में 21 तारीख यानि आज रविवार को प्रदोष व्रत का पहला दिन है। इस दिन प्रभु शिव की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन व्रत रखने से भक्तो के जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहती है। सभी को पता है की भगवान् शिव कितने दयालु है ऐसे में अगर कोई व्यक्ति पूरे सच्चे दिल से उनके इस व्रत की आराधना करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

इसके साथ उस पर भगवन की कृपा बनी रहती है। आपको बता दे की हिन्दू माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को शिव भक्तों के द्वारा प्रदोष व्रत रखा जाता है। आज हिंदू नववर्ष का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। तो चलिए है जानते है क्या है व्रत का शुभ मुहूर्त और किस प्रकार से भगवन शिव की आराधना कर उन्हें प्रसन्न कर सकते है।

आपको बता दे कि इस व्रत को पूरे विधि के साथ करने से आपके पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है। प्रदोष व्रत में भगवन शिव को प्रसन्न करना है जिसमे नीचे कुछ मंत्र दिए है भक्तो को उस मंत्र का जाप करना है।

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का जप करें

ऊँ नमः शिवाय।
ऊँ नमो भगवते रुद्राय नमः
ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।
ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

प्रदोष व्रत पूजा-विधि

इस दिन पूजा करने से भगवान शिव और सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन भक्तो को प्रातःकाल में जल्दी उठकर स्नान करने के बाद सूर्य देवता को जल अर्पित करना है तत्प्श्यात आपको शिव पूजा शुरू करनी है। इस व्रत में सांय कालीन पूजा का महत्व अधिक है। शाम के समय भगवान शिव के सामने दीप और फल -फूल आदि अर्पित करे। इसलिए सुबह के समय व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान शिव की आरती कर लेनी चाहिए और इसके बाद सांय काल में भी विधि से पूजा करनी चाहिए।

षोडषोपचा से पूजा की शुरुआत करनी चाहिए। जैसे की शिव जी को बेलपत्र, धतुरा, आक के फूल बहुत पसंद है ऐसे में आप उन्हें ये चीजें भी उनको अर्पित कर सकते हैं। पूजा से दौरान शिव के मंत्रों का जप कर शिव चालीसा का पाठ करे और साथ ही शिव जी का ध्यान भी कुछ समय के लिए करना चाहिए। फिर भगवान शिव की आरती करें। पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद वितरण घर के लोगों में करें और स्वयं भी खाएं, प्रसाद के रूप में आप खीर, सूजी आदि बना सकते हैं।

प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 अप्रैल को रात्रि 10 बजकर 40 मिनट से शुरू हो गयी है । त्रयोदशी तिथि की समाप्ति 22 अप्रैल को 1 बजकर 10 मिनट यानि देर रात्रि में होगी। उदयातिथि को ध्यान में रखते हुए प्रदोष व्रत 21 अप्रैल को ही रखा जाएगा। प्रदोष काल में शिव पूजा के लिए शुभ मुहूर्त- 21 अप्रैल शाम 6 बजकर 50 मिनट से 9 बजकर 1 मिनट तक

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