नागों से रक्षा करते हैं गुग्गा देवता

भाद्रपद की कृष्ण नवमी को गुग्गा नवमी मनाई जाती है। यह पर्व आठ दिन तक मनाया जाता है। नौवें दिन गुग्गा मन्दिर में भक्तजनों द्वारा पूजा-अर्चना की जाती है और प्रसाद के रूप में रोट और चावलआटा चढ़ाते हैं। इस अवसर पर भक्तजन गुग्गा की कथा का श्रवण करते हैं तथा नाग देवता की पूजा-अर्चना.

भाद्रपद की कृष्ण नवमी को गुग्गा नवमी मनाई जाती है। यह पर्व आठ दिन तक मनाया जाता है। नौवें दिन गुग्गा मन्दिर में भक्तजनों द्वारा पूजा-अर्चना की जाती है और प्रसाद के रूप में रोट और चावलआटा चढ़ाते हैं। इस अवसर पर भक्तजन गुग्गा की कथा का श्रवण करते हैं तथा नाग देवता की पूजा-अर्चना करते हैं। गुग्गा कथा कहने वाली मंडलियां गुग्गा की महिमा का बखान गुणगान द्वारा करती हैं। गुग्गा नवमी के दिन नागों की पूजा करने का विधान है। गुग्गा को सांपों का देवता माना जाता है। मान्यता है कि गुग्गा देवता की पूजा करने से सांपों से रक्षा होती है। यह पूजा रक्षाबंधन से आरंभ होकर नवमी तक चलती है।

कथा : गुग्गा मारू देश का राजा था और उसकी माता बाछला, गुरु गोरखनाथ जी की परम भक्त थीं। एक दिन गुरु गोरखनाथ जब अपने शिष्यों के साथ बाछला के राज्य में आते हैं तो रानी बहुत प्रसन्नता होती है। गोरखनाथ अपने शिष्य सिद्ध धनेरिया को नगर में अलख जगाने का आदेश देते हैं। भिक्षाटन करते हुए शिष्य राजमहल पहुंच जाता है। रानी उससे संतान न होने का दु:ख सांझा करती है एवं समस्या का समाधान पूछती है। शिष्य योगी रानी को सलाह देता है किइस बारे में उसके गुरु गोरखनाथ ही कोई उपाय सुझा सकते हैं। उसने यह भी बताया कि गुरु जी ही उसे पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दे सकते हैं। यह बात सुनकर रानी अगली सुबह गुरु के आश्रम जाने को तैयार होती है।

इस बीच उसकी बहन काछला भी इस भेद को जान लेती है और गुरु गोरखनाथ के पास पहले पहुंच कर उससे दोनों फल ग्रहण कर लेती है। बाद में जब रानी उनके पास फल के लिए जाती है तो गुरु गोरखनाथ सारा भेद जानने पर पुन: रानी को फल प्रदान करते हैं और पुत्रवती होने का आशीर्वाद देते हैं। वे यह भी आशीर्वाद देते हैं कि उसका पुत्र वीर तथा नागों को वश में करने वाला तथा सिद्धों का शिरोमणि होगा। इस तरह वहां इस दिन जिस पुत्र का जन्म होता है उसका नाम गुग्गा रखा जाता है और वह मारू देश का राजा बनता है। नवमी से सप्ताह पूर्व गुग्गा जी के भक्त गुग्गा की महिमा गाते हुए शहरशहर, गांव-गांव घूमते हैं तथा गुग्गा नवमी वाले दिन गुग्गा के मन्दिर में गुग्गा देवता की महिमा का गुणगान करते हैं।

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