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हुक्मनामा श्री हरमंदिर साहिब जी 02 फरवरी 2025

Hukamnama Darbar Sahib Ji : धनासरी महला ३ ॥ जो हरि सेवहि तिन बलि जाउ ॥ तिन हिरदै साचु सचा मुखि नाउ ॥ साचो साचु समालिहु दुखु जाइ ॥ साचै सबदि वसै मनि आइ ॥१॥ गुरबाणी सुणि मैलु गवाए ॥ सहजे हरि नामु मंनि वसाए ॥१॥ रहाउ ॥ Hukamnama Darbar Sahib Ji अर्थ : (हे भाई! गुरबानी.

Hukamnama Darbar Sahib Ji : धनासरी महला ३ ॥ जो हरि सेवहि तिन बलि जाउ ॥ तिन हिरदै साचु सचा मुखि नाउ ॥ साचो साचु समालिहु दुखु जाइ ॥ साचै सबदि वसै मनि आइ ॥१॥ गुरबाणी सुणि मैलु गवाए ॥ सहजे हरि नामु मंनि वसाए ॥१॥ रहाउ ॥

Hukamnama Darbar Sahib Ji अर्थ : (हे भाई! गुरबानी का सहारा ले कर) जो मनुख परमात्मा का सुमिरन करते हैं, में उनसे कुर्बान जाता हूँ। उनके हृदये में सदा-थिर प्रभु बसा रहता है, उनके मुख में सदा-थिर हरी-नाम टिका रहता है। हे भाई! सदा-थिर प्रभु को ही (ह्रदय में) संभल कर रखा करो (इस की बरकत से हरेक) दुःख दूर हो जाता है। सदा-थिर प्रभु की सिफत-सलाह वाले शब्द में जुड़ने से (हरी-नाम) मन में आ बस्ता है।१। हे भाई! गुरु की बाणी सुना कर, (यह बाणी मन में से विकारों की) मैल दूर कर देती है। (यह बाणी) आत्मिक अडोलता में (टिकाऊ कर के)परमात्मा का नाम मन में बसा देती है।१।रहाउ।

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