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हुक्मनामा श्री हरमंदिर साहिब जी 13 फरवरी 2025

Hukamnama

Hukamnama

Hukamnama : धनासरी महला ५ घरु ६ असटपदी ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ जो जो जूनी आइओ तिह तिह उरझाइओ माणस जनमु संजोगि पाइआ ॥ ताकी है ओट साध राखहु दे करि हाथ करि किरपा मेलहु हरि राइआ ॥१॥ अनिक जनम भ्रमि थिति नही पाई ॥ करउ सेवा गुर लागउ चरन गोविंद जी का मारगु देहु जी बताई ॥१॥ रहाउ ॥ अनिक उपाव करउ माइआ कउ बचिति धरउ मेरी मेरी करत सद ही विहावै ॥ कोई ऐसो रे भेटै संतु मेरी लाहै सगल चिंत ठाकुर सिउ मेरा रंगु लावै ॥२॥ पड़े रे सगल बेद नह चूकै मन भेद इकु खिनु न धीरहि मेरे घर के पंचा ॥ कोई ऐसो रे भगतु जु माइआ ते रहतु इकु अंम्रित नामु मेरै रिदै सिंचा ॥३॥

Hukamnama अर्थ :- हे सतिगुरु ! अनेकों जूनों (योनियों) में भटक भटक के (योनियों से बचने का ओर कोई) ठहराव नहीं खोजा जा सका। अब मैं तेरी चरणी आ पड़ा हूँ, मैं तेरी ही सेवा करता हूँ, मुझे परमात्मा (के मिलाप) का मार्ग बता दो।1। रहाउ। हे गुरु ! जो जो जीव (जिस किसी) योनि में आया है, वह उस (योनि) में ही (माया के मोह में) फँस रहा है। मानुख जन्म (किसी ने) किस्मत के साथ प्राप्त किया है। हे गुरु ! मैंने तो तेरा सहारा देखा है। आपने हाथ दे के (मुझे माया के मोह से) बचा ले। कृपा कर के मुझे भगवान-पातिशाह के साथ मिला दे।1। हे भाई ! मैं (नित्य) माया की खातिर (ही) अनेकों यत्न करता रहता हूँ, मैं (माया को ही) विशेष तौर पर आपने मन में टिकाई रखता हूँ, सदा ‘मेरी माया,मेरी माया’ करते हुए ही (मेरी उम्र बीतती) जा रही है। (अब मेरा मन करता है कि) मुझे कोई ऐसा संत मिल जाए, जो (मेरे अंदर माया वाली) सारी सोच दूर कर दे, और, भगवान के साथ मेरा प्यार बना दे।2। हे भाई ! मैंने सारे वेद पढ़ देखे हैं, (इन के पढ़ने से भगवान के साथ से) मन की दूरी खत्म नहीं होती, (वेद आदिक के पढ़ने से) ज्ञान-इंद्रे एक क्षण के लिए भी शांत नहीं होतेे। हे भाई ! कोई ऐसा भक्त (मिल जाए) जो (आप) माया से निरलेप हो, (वही भक्त) मेरे हृदय में आत्मिक जीवन देने वाला नाम-जल सिंजो सकता है।3।

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