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हुक्मनामा श्री हरमंदिर साहिब जी 28 मार्च 2025

Hukamnama, Shri Harmandir Sahib Ji, 28 March 2025, Amritsar, Punjab, 

Hukamnama, Shri Harmandir Sahib Ji, 28 March 2025, Amritsar, Punjab, 

Hukamnama : सलोकु मः ३ ॥ सेखा चउचकिआ चउवाइआ एहु मनु इकतु घरि आणि ॥ एहड़ तेहड़ छडि तू गुर का सबदु पछाणु ॥ सतिगुर अगै ढहि पउ सभु किछु जाणै जाणु ॥ आसा मनसा जलाइ तू होइ रहु मिहमाणु ॥ सतिगुर कै भाणै भी चलहि ता दरगह पावहि माणु ॥ नानक जि नामु न चेतनी तिन धिगु पैनणु धिगु खाणु ॥१॥ मः ३ ॥ हरि गुण तोटि न आवई कीमति कहणु न जाइ ॥ नानक गुरमुखि हरि गुण रवहि गुण महि रहै समाइ ॥२॥ पउड़ी ॥ हरि चोली देह सवारी कढि पैधी भगति करि ॥ हरि पाटु लगा अधिकाई बहु बहु बिधि भाति करि ॥ कोई बूझै बूझणहारा अंतरि बिबेकु करि ॥ सो बूझै एहु बिबेकु जिसु बुझाए आपि हरि ॥ जनु नानकु कहै विचारा गुरमुखि हरि सति हरि ॥११॥

Hukamnama अर्थ :- हे चुके चुकाए शेख ! इस मन को एक टिकाणे पर ला; उलटी सीधी बातें छोड़ और सतिगुरु के शब्द को समझ। हे शेख ! जो (सब का) जाणू सतिगुरु सब कुछ समझता है उस की चरणी लग;आशांए और मन की दौड़ मिटा के अपने आप को जगत में मेहमान समझ; अगर तूं सतिगुरु के भाणे में चलेंगा तो भगवान की दरगाह में आदर पावेंगा। गुरू नानक जी कहते हैं, हे नानक ! जो मनुख नाम नहीं सिमरते,उन का (बढ़िया) खाना और (बढ़िया) पहिनणा फिटकार-योग है।1। हरि के गुण ब्यान करते हुए वह गुण खत्म नहीं होते, और ना ही यह बताया जा सकता है कि इन गुणों को विहाझण के लिए मुल्य क्या है; (पर,) गुरू नानक जी कहते हैं, हे नानक ! गुरमुख जीव हरि के गुण गाते हैं। (जो मनुख भगवान के गुण गाता है वह) गुणों में लीन हुआ रहता है।2। (यह मनुखा) शरीर, मानो, चोली है जो भगवान ने बनाए है और भक्ति (-रूप कसीदा) निकाल के यह चोली पहनने-योग बनती है। (इस चोली को) बहुत तरह कई वंनगीआँ का हरि-नाम पट लगा हुआ है; (इस भेत को) मन में विचार कर के कोई विरला समझने वाला समझता है। इस विचार को वह समझता है, जिस को हरि आप समझावे। गुरू नानक जी कहते हैं, यह दास नानक यह विचार बताता है कि सदा-थिर रहने वाला हरि गुरु के द्वारा (सुमिरा जा सकता है)।11।

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