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हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 10 अक्टूबर 2024

धर्म : रामकली महला ५ रुती सलोकु ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ करि बंदन प्रभ पारब्रहम बाछउ साधह धूरि ॥ आपु निवारि हरि हरि भजउ नानक प्रभ भरपूरि ॥१॥ किलविख काटण भै हरण सुख सागर हरि राइ ॥ दीन दइआल दुख भंजनो नानक नीत धिआइ ॥२॥ अर्थ : राग रामकली में गुरु अरजन देव जी की.

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धर्म : रामकली महला ५ रुती सलोकु
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ करि बंदन प्रभ पारब्रहम बाछउ साधह धूरि ॥ आपु निवारि हरि हरि भजउ नानक प्रभ भरपूरि ॥१॥ किलविख काटण भै हरण सुख सागर हरि राइ ॥ दीन दइआल दुख भंजनो नानक नीत धिआइ ॥२॥

अर्थ : राग रामकली में गुरु अरजन देव जी की बाणी ‘ रती सलोक
अकाल पुरख एक है और सतगुरु की किरपा से मिलता है। हे नानक। (कह- हे भाई) पारब्रहम प्रभु को नमस्कार कर के में ( उस के दर से ) संत जना के चरणे की धुल मांगता हु, और आपा-भाव दुर कर के में उस सरब-वियापक प्रभु का नाम जपता हा ।੧। प्रभु पातशाह सारे पाप काटने वाला है, सारे डर दूर करने वाला है, सुखो का समुन्दर है, गरीबो पर दया कारण वाला है, (गरीबो के) दुख नास करने वाला है। हे नानक। उस को सदा सिमरता रह ।੨।

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