हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 2 सितंबर 2023

रामकली महला ५ ॥ दरसन कउ जाईऐ कुरबानु ॥ चरन कमल हिरदै धरि धिआनु ॥ धूरि संतन की मसतकि लाइ ॥ जनम जनम की दुरमति मलु जाइ ॥१॥ जिसु भेटत मिटै अभिमानु ॥ पारब्रहमु सभु नदरी आवै करि किरपा पूरन भगवान ॥१॥ रहाउ ॥ गुर की कीरति जपीऐ हरि नाउ ॥ गुर की भगति सदा.

रामकली महला ५ ॥ दरसन कउ जाईऐ कुरबानु ॥ चरन कमल हिरदै धरि धिआनु ॥ धूरि संतन की मसतकि लाइ ॥ जनम जनम की दुरमति मलु जाइ ॥१॥ जिसु भेटत मिटै अभिमानु ॥ पारब्रहमु सभु नदरी आवै करि किरपा पूरन भगवान ॥१॥ रहाउ ॥ गुर की कीरति जपीऐ हरि नाउ ॥ गुर की भगति सदा गुण गाउ ॥ गुर की सुरति निकटि करि जानु ॥ गुर का सबदु सति करि मानु ॥२॥

(हे भाई! गुरु के) दरसन से सदके जाना चाहिये (दरसन की खातिर अपना-भाव पुर्बान कर देना चाहिये)। (गुरु के) सुंदर चरणों का ध्यान हृदय में चरण कर (गुरु की बताई भक्ति करनी चाहिए)। (हे भाई! गुरु के दर पर रहने वाले)संत जानो की चरण-धुल माथे पर लगाया कर, (इस प्रकार)अनेकों जन्मो की खोटी मति की मैल उतर जाती है॥१॥ जिस गुरु को मिलने से (मन में से अहंकार दूर हो जाता है, और परब्रह्म प्रभु हर जगह दिख जाता है, हे सब गुणों वाले परमात्मा! (मेरे ऊपर)कृपा कर (मुझे गुरु मिला)॥१॥रहाउ॥ हे भाई! सदा परमात्मा का नाम जपना चाहिए-यही है गुरु की सोभा(करना) । हे भाई! सदा प्रभु के गुण गया कर-यही है गुरु की भक्ति! हे भाई! परमात्मा को सदा अपने नजदीक बसते जान-यही है गुरु के चरणों में ध्यान धरना। हे भाई! गुरु के शब्द को (सदा सच्चा करके मान॥२॥

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