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हुक्मनामा श्री हरमंदिर साहिब जी 08 फरवरी 2025

Hukamnama Today

Hukamnama Today

Hukamnama Today : धनासरी महला ५ ॥ वडे वडे राजन अरु भूमन ता की त्रिसन न बूझी ॥ लपटि रहे माइआ रंग माते लोचन कछू न सूझी ॥१॥ बिखिआ महि किन ही त्रिपति न पाई ॥ जिउ पावकु ईधनि नही ध्रापै बिनु हरि कहा अघाई ॥ रहाउ ॥ दिनु दिनु करत भोजन बहु बिंजन ता की मिटै न भूखा ॥ उदमु करै सुआन की निआई चारे कुंटा घोखा ॥२॥ कामवंत कामी बहु नारी पर ग्रिह जोह न चूकै ॥ दिन प्रति करै करै पछुतापै सोग लोभ महि सूकै ॥३॥ हरि हरि नामु अपार अमोला अम्रितु एकु निधाना ॥ सूखु सहजु आनंदु संतन कै नानक गुर ते जाना ॥४॥६॥

Hukamnama Today अर्थ : हे भाई! माया (के मोह) में (फसे रह के) किसी मनुष्य ने (माया की ओर से) तृप्ती प्राप्त नहीं की, जैसे आग ईधन से नहीं अघाती। परमात्मा के नाम के बिना मनुष्य कभी तृप्त नहीं हो सकता। रहाउ।(हे भाई!दुनिया में) बड़े-बड़े राजे हैं, बड़े-बड़े जिमींदार हैं, (माया से) उनकी तृष्णा कभी खत्म नहीं होती वे माया के करिश्मों में मस्त रहते हैं, माया से चिपके रहते हैं। (माया के बिना) और कुछ उन्हें आँखों से दिखता ही नहीं।1।हे भाई! जो मनुष्य हर रोज स्वादिष्ट खाने खाता रहता है, उसकी (स्वादिष्ट खानों की) भूख कभी खत्म नहीं होती। (स्वादिष्ट खानों की खातिर) वह आदमी कुत्ते की तरह दौड़-भाग करता रहता है, चारों तरफ तलाशता फिरता है।2।हे भाई! काम-वश हुए विषयी मनुष्य की भले ही कितनियां ही सि्त्रयां क्यों ना हों, पराए घर की ओर उसकी बुरी निगाह फिर भी नहीं हटती। वह हर रोज (विषौ-पाप) करता है, और पछताता (भी) है। सो, यह काम-वासना में और पछतावे में उसका आत्मिक जीवन सूखता जाता है।3।हे भाई! परमात्मा का नाम ही एक ऐसा बेअंत और कीमती खजाना है जो आत्मिक जीवन देता है, (इस नाम-खजाने की बरकति से) संत-जनों के हृदय-घर में आत्मिक अडोलता बनी रहती है, सुख आनंद बना रहता है। पर, हे नानक! गुरू से इस खजाने की जान-पहचान प्राप्त होती है।4।6।

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