Jagannath Temple : 40 साल बाद जगन्नाथ मंदिर का खुला खजाना, जानें इससे जुड़े कई रहस्य

ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर में रत्न भंडार गृह का 40 साल बाद निरीक्षण किया जा रहा है।

पुरी: भारत में कई बड़े धार्मिक स्थल और मंदिर हैं। सभी मंदिर और धार्मिक स्थल अपनी एक अनोखी कहानी बयान करतें है। इसके साथ कई मान्यताएं देशभर में प्रचलित है।आज हम इन्हीं में से एक ऐसे मंदिर के बारे में आपको बताने जा रहें है। जहां अकूत खजाना है। ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर में रत्न भंडार गृह का 40 साल बाद निरीक्षण किया जा रहा है। इस खजाने का निरीक्षण करने के लिए सिर्फ दस लोगों की टीम ही मंदिर के तहखाने में जाएगी। उस तहखाने के अंदर जाने से पहले और बाहर आने के बाद भी तीन स्तर पर जांच की जाएगी।आपको बता दें कि, जगन्नाथ मंदिर से जुड़े कई ऐसे राज हैं, जिसे विज्ञान की कसौटी पर कई बार परखने की कोशिश की गई। मगर राज आज भी अनसुलझे हैं।

जानें जगन्नाथ मंदिर की प्रतिमा से जुड़ी कहानी:

इसकी शुरुआत प्रभु की प्रतिमा से जुड़ी कहानी से करते हैं। हमारे हिंन्दू पौराणिक किताबों में ऐसी मान्यता है कि मंदिर में मौजूद प्रतिमा के अंदर भगवान ब्रह्माजी का वास है। जब श्रीकृष्ण ने धर्म स्थापना के लिए धरती पर अवतार लिया तब उनके पास अलौकिक शक्तियां थीं। लेकिन शरीर मानव का था। जब धरती पर उनका समय पूरा हो गया तो वो शरीर त्यागकर अपने धाम चले गए। जिसके बाद पांडवों ने उनका अंतिम संस्कार किया। वहीं, पांडवों ने उनके आग से धधकते दिल को जल में प्रवाहित कर दिया। तब ये लकड़ी के लठ्ठे के रूप में बदल गया। यही लठ्ठा राजा इंद्रदुयम्न को मिल गया। जिसके बाद उनको मंदिर में स्थापित कर दिया गया। तब से ये मंदिर में ही मौजूद है, हर बारह साल बाद भगवान की मूर्ति बदली जाती है। मगर लठ्ठा वैसा ही रहता है। श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित लाल ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है। ऐसा किस वजह से होता है इस बात से तो वैज्ञानिकों को भी हैरान करटी है। यह भी आश्‍चर्य है कि रोज शाम को मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज को बदला जाता है। ध्वज पर शिव का चंद्र बना हुआ है।

आइए अब जानतें है मंदिर से जुड़े कई रहस्य:

1.क्या है प्रतिमा के अलग होने की कहानी-

आपको बता दें कि, यहां प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की जो प्रतिमाएं लगी हैं वो हर 14 से 18 साल बाद बदली जाती हैं। पुरानी प्रतिमाओं को एक ही स्थान पर मिट्टी के नीचे दबा दिया जाता है। वो भी एक के ऊपर एक रखकर। मंदिर के पुजारियों द्वारा ऐसा कहा जाता है कि ये प्रतिमाएं अपने आप अलग हो जाती हैं।

2.बेहद चमत्कारिक है सुदर्शन चक्र-

मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को यदि आप देखेंगे तो वह आपको सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा। इसे नीलचक्र भी कहते हैं। यह अष्टधातु से बना हुआ है। हर दिशा ये प्रभु का सुदर्शन चक्र एक जैसा ही नजर आता है। हर दिशा से ये सामने ही नजर आता है।

3. कभी नहीं बनती गुंबद की छाया-

यह मंदिर 4 लाख वर्गफुट में क्षेत्र में फैला है और इसकी ऊंचाई लगभग 214 फुट है। मंदिर के पास खड़े रहकर इसका गुंबद देख पाना असंभव है। मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय नहीं दिखाई पड़ती है। अआप्को बता दें कि, मंदिर के गुंबद के आसपास कोई पक्षी भी उड़ता हुआ नहीं देखा गया है। इसके ऊपर से तो विमान तक नहीं उड़ाया जा सकता। जगन्नाथ मंदिर का यह भव्य रूप 7वीं सदी में निर्मित किया गया।

4. दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर-

मंदिर में दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है। यहां रोजाना पांच सौ रसोइए तीन सौ सहयोगियों के साथ भगवान जगन्नाथजी का प्रसाद बनाते हैं। यहां के पुजारी भगवान के भोग के लिए प्रसादम बनाते हैं। इसके लिए सात बर्तन का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक के ऊपर एक रखे जाते हैं। इसे बनाने के लिए लकड़ी से जली आग इस्तेमाल में लाई जाती है। सबसे ऊपर रखे बर्तन का प्रसाद सबसे पहले बनता है और फिर बाकी।जिसे बीस लाख भक्त ग्रहण कर सकते हैं। मंदिर में प्रसाद कुछ हजार लोगों के लिए ही क्यों न बनाया गया हो, लेकिन इससे लाखों लोगों का पेट भर सकता है। मंदिर के अंदर पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे वर्ष के लिए रहती है। प्रसाद की एक भी मात्रा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती।

5. पुजारी बिना मदद के बदलने चढ़ते हैं ध्वज –

जैसे कि आपने पढ़ा है मंदिर का ध्वज हर शाम को बदला जाता है। इसके लिए पुजारी 45 मंजिला ऊंचे मंदिर पर बिना किसी मदद के चढ़ता है। जब से मंदिर बना है, तब से ये परंपरा निभाई जा रही है और बिना किसी सुरक्षा उपकरणों के साथ। ऐसी मान्यता है कि अगर किसी दिन भी ये अनुष्ठान नहीं किया गया तो ये मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा।

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