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जानिए विश्व प्रसिद्ध बरसाना की लट्ठमार होली की सही तिथि और इतिहास के बारे में

बरसाना की लट्ठमार होली पुरी दुनिया में प्रसिद्ध है। बरसाना की लट्ठमार होली का जुड़ाव भगवान श्रीकृष्ण और गोपियों के जीवन से है। माना जाता है कि इस दिन एक दूसरे हो रंग लगा कर होली की शुभकामनाएं दी जाती है और आपसी मन मुटाव को दूर किया जाता है। जिससे रिश्तों में एक नई ताजगी आती है। आइए जानते है बरसाना की प्रसीद लट्ठमार होली के बारे में:

कब है लट्ठमार होली?
बरसाना की लट्ठमार होली हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है. इस साल लट्ठमार होली 28 फरवरी दिन मंगलवार को है.

रवि योग में मनेगी बरसाना की लट्ठमार होली
पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 28 फरवरी को तड़के 02 बजकर 21 मिनट पर शुरू हो रही है और 01 मार्च को प्रात: 04 बजकर 18 मिनट तक रहेगी. 28 फरवरी को बरसाना की लट्ठमार होली के दिन रवि योग सुबह 07 बजकर 20 मिनट से अगले दिन सुबह 06 बजकर 47 मिनट तक है.

कैसे खेली जाती है बरसाना की लट्ठमार होली
बरसाना की लट्ठमार होली की शुरूआत एक दिन पहले फाग आमंत्रण से होती है. बरसाना की एक सखी फाग खेलने का आमंत्रण लेकर नंदगांव जाती है. 27 फरवरी को बरसाना से फाग आमंत्रण नंदगांव भेजा जाएगा. फिर उसी दिन एक पांडा फाग आमंत्रण को स्वीकार करने का संदेश लेकर बरसाना पहुंचेगा. जब वह फाग आमंत्रण की स्वीकृति का संदेशा लाडली जी के मंदिर में देगा, तो वहां खुशी से उत्सव मनाया जाएगा.

पांडा को खाने के लिए लड्डू दिया जाता है तो वह खुशी में उनको लुटाने लगता है और फिर शुरू हो जाती है लड्डू होली. मंदिर में उपस्थित सभी भक्तों को प्रसाद में लड्डू दिए जाते हैं. उसके अगले दिन नवमी तिथि को नदंगांव के हुरयारे होली खेलने के लिए बरसाना पहुंचते हैं. वहां पर उनका स्वागत रंग, गुलाल, मिठाइयों के साथ लट्ठ से होती है.

बरसाना की गोपियों उन पर रंग-गुलाल डालती हैं और लट्ठ से मारती हैं, हुरयारे उनकी लट्ठ से बचने का प्रयास करते हैं. इस तरह से पूरे दिन होली खेली जाती है. मान्यता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण गोपियों को रंग डालते थे तो वे छड़ी लेकर उनको दौड़ाती थीं. वैसा ही कुछ दृश्य बरसाना में लट्ठमार होली के समय देखने को मिलता है.

बरसाना की लट्ठमार होली: 28 फरवरी, मंगलवार
नंदगांव की लट्‌ठमार होली: 01 मार्च, बुधवार
होलिका दहन: 07 मार्च, मंगलवार
रंग पंचमी: 12 मार्च, रविवार

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